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–४. २७१९ ]
चउत्थो महाधियारो
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हे २०१२९८७०१०४ । १७६ हरि८०५१९४८०४११। ६८ वि ३२२०७७९२१६७७ । ६० । २१२ २१२
२१२ रं८०५१९४८०४१९। ६८ हद २०१२९८७०१०४ । १७६ महरावद ५०३२४६७५२६ । ४४
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२१२] जंबूदीवखिदीए फलप्पमाणेण धादईसंडे । खेत्तफलं किजंतं बारसकदिसमसलाकाओ ॥ २७१४ भवसेसवण्णणाओ सव्वाणं विजयसेलसरियाणं । कुंडदहादीणं पिय जंबूदीवस्स सारिच्छा ॥ २७१५
एवं विण्णासो समत्तो। भरहवसुंधरपहुदि जाव य एरावदो त्ति अहियारा । जंबूदीवे उत्तं तं सब्वं एत्थ वत्तव्वं ।। २७१६ एवं संखेवेणं धादइसंडो पवण्णिदो दिब्बो। वित्थारवण्णणासुं का सत्ती म्हारिसमईणं ॥ २७१७
एवं धादइसंडस्स वण्णणा सम्मत्ता। परिवेढदि समुद्दो कालोदो णाम धादईसंडं । अडलक्खजोयणाणि वित्थिण्णो चकवालेणं ॥ २७१८ टंकुक्किणेणायारो सव्वत्थ सहस्सजीयणवगाढो। चित्तोवरितलसरिसो पायालविवज्जिदो एसो ॥ २७१९
१०००।
विदेह ३२२०७७९२१६७७६६३ । रम्यक ८०५१९४८०४१९३९ । हैरण्यवत २०१२९८७०१०४३१६ । ऐरावत ५०३२४६७५२६३१५ ।।
जम्बूद्वीपके फलप्रमाणसे धातकीखंडका क्षेत्रफल करनेपर वह बारहके वर्गरूप अर्थात् एकसौ चवालीस शलाकाप्रमाण होता है । तात्पर्य यह कि जम्बूद्वीपके बराबर धातकीखण्डके एकसौ चवालीस खण्ड होते हैं ।। २७१४ ।। (१३०००००२-५००००० २) १०००००२-१४४ ।
__ सम्पूर्ण क्षेत्र, पर्वत, नदी, कुण्ड और द्रहादिकोंका शेष वर्णन जम्बूद्वीपके समान ही समझना चाहिये ॥ २७१५ ॥
इसप्रकार विन्यास समाप्त हुआ। भरतक्षेत्रसे लेकर ऐरावतक्षेत्रपर्यन्त जितने अधिकार जम्बूद्वीपके वर्णनमें कहे गये हैं, वे सब यहांपर भी कहने चाहिये ॥ २७१६ ॥
इसप्रकार संक्षेपमें यहां दिव्य धातकीखण्डका वर्णन किया गया है। हमारी जैसी बुद्धिवाले मनुष्योंकी भला विस्तारसे वर्णन करने में शक्ति ही क्या है ? ॥ २७१७ ॥
इसप्रकार धातकीखण्डद्वीपका वर्णन समाप्त हुआ। इस धातकीखण्डद्वीपको आठ लाख योजनप्रमाण विस्तारवाला कालोद नामक समुद्र मण्डलाकारसे वेष्टित किये हुए है ।। २७१८ ॥
टांकीसे उकेरे हुएके समान आकारवाला यह समुद्र सर्वत्र एक हजार योजन गहरा, चित्रापृथिवीके उपरिम तलभागके सदृश अर्थात् समतल और पातालोंसे रहित है ।। २७१९ ।। .
१०००।
१द ब सण्णियाहि. २द कुकिणायारो.
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