SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 547
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८०] तिलोयपण्णत्ती [ ४. २६५६ छहोतियसगसगपण अंसा ता एव अंतदीहत्तं । कमसो दोविजयाणं आदिल्लं एक्सेलचंदणगे ॥ २६५६ ५७७३२६ । २४ २१२ तियणभअडसगसगपण भागा चउसीदिमेत्त पत्तेकं । मज्झिल्लयदीहत्तं होदि पुढं एक्सेलचंदणगे ॥ २६५७ ५७७८०३ । ८४ २१२ भभडदुभट्ठसगपण अंसा बारसकदी हु अवसाणे । दीहं दोसु गिरीणं आदी वप्पाए पोक्खलावदिए ॥२६५८ ५७८२८०। १४४ २१२ चउछकअडदुअडपण कमसो का त एव भागा य । मझिल्लयदीहत्तं विजयाणं दोसु णादध्वं ॥ २६५९ ५८२८६४ । १४४ २१२ अडचउचउसगअडपण अंसा ते चव पोक्खलावदिए । वप्पाए अंतदीहं आदिल्लं भूददेवरण्णाणं ॥ २६६० ५८७४४८।१४४ २१२ ___ छह, दो, तीन, सात, सात, और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चौबीस भाग ही अधिक क्रमसे दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा एकशैल व चन्द्रनग नामक वक्षारपर्वतोंकी आदिम लंबाई है ॥ २६५६ ।। ५७२७४२३२५ + ४५८४ = ५७७३२६३३३ । ___ तीन, शून्य, आठ, सात, सात और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और चौरासी भागमात्र अधिक एकशैल व चन्दनग नामक वक्षारपर्वतों से प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६५७ ॥ ५७७३२६,२,३ +४७७.६० = ५७७८०३६१३ । ___ शून्य, आठ, दो, आठ, सात और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और बारहके वर्गप्रमाण अर्थात एकसौ चवालीस भाग अधिक दोनों पर्वतोंकी अन्तिम तथा वप्रा एवं पुष्कलावती क्षेत्रकी आदिम लंबाई है ॥ २६५८ ॥ ५७७८०३२ + ४७७३१२ = ५७८२८०३१३ । चार, छह, आठ, दो, आठ और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ चवालीस भाग ही अधिक उक्त दोनों देशोंकी मध्यम लंबाई जानना चाहिये ॥ २६५९ ॥ ५७८२८०३१३ + ४५८४ % ५८२८६४३३३ । आठ, चार, चार, सात, आठ और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ चवालीस भाग अधिक पुष्कलावती व वप्रा विजयकी अन्तिम तथा भूतारण्य व देवारण्यकी आदिम लंबाई है ॥ २६६० ॥ ५८२८६४३६३ + ४५८४ = ५८७४४८३१३ । १ द ब दीहत्योसुं गिरीणं. २ एषा गाथा द-प्रतौ नास्ति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy