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________________ गाथा मनका बाल्य. १५७ ३५९ ३६७ १६७ [४३] विषय गाथा विषय .. तीनों प्रकारके बिलोंका बाहल्य नरकसे निकलकर भवान्तरमें जन्म रत्नप्रभादि छह पृथिवियोंमें इन्द्रकादि लेनेवाले जीवोंका निरूपण २८९ बिलोंका स्वस्थान ऊर्ध्वग अंतराल १५९ नारकायुक बन्धक परिणाम २९३ सातवीं पृथिवीमें इन्द्रक व श्रेणीबद्ध नारकियोंकी जन्मभूमियां ३०२ बिलोंके अधस्तन और उपरिम पृथि- नारकियोंके दुख ३१३ वीभागका बाहल्य नरकोंमें सम्यक्त्वसामग्री प्रथमादि पृथिवियोंमें बिलोंका परस्थान नरकप्राप्तिके कारण ३६२ अन्तराल १६४ अधिकारान्त मंगल धर्मादिक पृथिवियोंमें इन्द्रकबिलोंके स्वस्थान व परस्थान अन्तरालका महाधिकार ३ १-२४३ प्रमाण अवधिस्थान इन्द्रककी ऊर्ध्व व अध मंगलाचरण स्तन भूमिके बाहल्यका प्रमाण १७९ भावनलोकनिरूपणमें चौबीस अधिधर्मादिक पृथिवियोंमें श्रेणीबद्ध बिलोंको कारोंका निर्देश स्वस्थान व परस्थान अन्तरालका भवनवासी देवोंका निवासक्षेत्र प्रमाण १८० भवनवासियोंके भेद धर्मादिक पृथिवियोंमें प्रकीर्णक बिलोंकें भवनवासियोंके चिह स्वस्थान व परस्थान अन्तरालका भवनवासियोंकी भवनसंख्या प्रमाण १८९ भवनवासियोंमें इन्द्रसंख्या नारकियोंकी संख्या १९५ पटलक्रमसे नारकियोंकी आयु २०२ इन्द्रोंके नाम पटलक्रमसे नारकियोंका उत्सेध दक्षिण व उत्तर इन्द्रोंका विभाग भवनसंख्या रत्नप्रभादि पृथिवियोंमें अवधिज्ञानका निरूपण २७१ भवनभेद व उनका स्वरूप नारकियोंमें बीस प्ररूपणाओंका निरूपण २७२ अल्पर्द्धिक, महर्द्धिक और मध्यमनरकोंमें उत्पन्न होनेवाले जीवोंका ऋद्धिधारक देवोंके भवनोंका स्थान २४ निरूपण २८४ भवनोंका विस्तारादि रत्नप्रभादिक पृथिवियोंमें जन्म-मरणके भवनवेदियोंका उत्सेधादि ___ अन्तरालका प्रमाण २८७ भवनोंके बाहिर स्थित वनोंका निर्देश ३१ रत्नप्रभादिक पृथिवियोंमें प्रतिसमय चैत्यवृक्षोंका वर्णन उत्पन्न होनेवाले व मरनेवाले जीवोंकी वेदियों के मध्य में कूटोंका निरूपण ४० संख्या २८८ । कूटोंके ऊपर स्थित जिनभवनों का निरूपण ४३ mm x Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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