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गाथा
पृ. ४६
[१] विषय
विषय
गाथा लोकविभाग ग्रन्थके अनुसार सातवीं
उक्त पृथिवियोंका मतभेदसे बाहल्य पृथिवी व ब्रह्मयुगल के पार्श्वभागोंमें सात पृथिवियोंके नौ दिशाभागोंमें तथा लोकके ऊपर वातवलयोंका बाहल्य २८० तथा अष्टम पृथिवीके दशों दिशालोकपर्यन्त स्थित वातरुद्ध क्षत्रोंका
भागोंमें घनोदधि वायुकी संलग्नता २४ पृथक् पृथक् घनफल पृ. ४३ रत्नप्रभादि पृथिवियोंका आकार भाठ पृथिवियोंके अधोभागस्थ वातरुद्ध
सर्व पृथिवीस्थ नारकबिलोंकी संख्या क्षेत्रका घनफल
पृथिवीक्रमसे बिलसंख्या आठ पृथिवियोंका पृथक् पृथक्
बिलोंका स्थान घनफल
पृ. ४८ नारकबिलोंमें उष्णता व शीतताका शुद्ध आकाशका प्रमाण व अधिका
निरूपण रान्त मंगल
पृ. ५० उष्ण व शीत बिलोंकी संख्या
बिलोंमें शैत्य व उष्णताकी अधिकता महाधिकार २ १-३६७
बिलोंमें स्थित दुर्गन्धका दिग्दर्शन मंगलाचरणपूर्वक नारकलोकके कह
बिलोंकी दारुणता नेकी प्रतिज्ञा
बिलोंके भेद नारकलोकके वर्णनमें पन्द्रह अधिका
रत्नप्रभादिक पृथिवियोंमें इन्द्रकबिलोंकी रोंका निर्देश
संख्या असनालीका स्वरूप व उंचाई
इन्द्रकाश्रित श्रेणीबद्ध बिलोंकी संख्या प्रकारान्तरसे सर्व लोकका सना
सात पृथिवियोंकी समस्त इन्द्रकबिललित्वनिरूपण
संख्या रत्नप्रभा पृथिवीके तीन भाग व उनका पृथिवीक्रमसे इन्द्रकबिलोंके नाम बाहत्य
दिशाक्रमसे धर्मादिक पृथिवियोंके खरभागके भेदोंमें चित्राका विशेष
प्रथम इन्द्रकोंके समीपमें स्थित स्वरूप
प्रथम श्रेणीबद्ध बिलोंके नाम चित्राका बाहल्य व उसके नीचे स्थित प्रथम पृथिवीके प्रथम पाथड़ेमें स्थित
__ अन्य पन्द्रह पृथिवियों के नाम १५ इन्द्रक व श्रेणीबद्ध बिलोंकी संख्या ५५ पंकभाग व अब्बहुलभागका स्वरूप १९ द्वितीयादिक पाथडोंमें इन्द्रक व रत्नप्रभा नामकी सार्थकता
२० श्रेणीबद्ध बिलोंकी हानि शर्कराप्रभादि शेष छह पृथिवियोंके नाम विवक्षित पाथडे इन्द्रकसहित व उनकी सार्थकता
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श्रेणीबद्धबिलोंकी संख्या निकालशर्कराप्रभादि पृथिवियोंका बाहल्य २२ । नेकी विधि
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