SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयानुक्रमणिका reONG विषय गाथा विषय गाथा arur v महाधिकार १ १-२८३ मंगलाचरण प्रन्थप्रतिज्ञा मंगल, कारण, हेतु, प्रमाण, नाम और __ कर्ता, इनकी प्रथमवक्तव्यता मंगलके पर्याय शब्द मंगलकी निरुक्ति मंगलके भेद-प्रभेद व उनका लक्षण प्रकारान्तरोंसे मंगलकी निरुक्ति मंगलके छह भेद १८ नाममंगलका लक्षण स्थापनामंगल व द्रव्यमंगलका लक्षण क्षेत्रमंगलका लक्षण क्षेत्रमंगलका उदाहरण, प्रकारान्तरोंसे क्षेत्रमंगलका स्वरूप और कालमंगलका लक्षण कालमंगलका उदाहरण भावमंगलका लक्षण शास्त्रके आदि, मध्य व अन्तमें मंगलवचनका फल जिननामग्रहणमात्रका फल शास्त्रके आदि, मध्य व अन्तमें विहित जिनस्तोत्ररूप मंगलका प्रयोजन ग्रन्थावतारका निमित्त ३२ हेतुके प्रत्यक्ष-परोक्ष भद ३५ प्रत्यक्षहेतुके साक्षात् व परंपराप्रत्यक्ष___ रूप, भेद और उनका स्वरूप परोक्षहेतुके कथन में अभ्युदयसुखका निरूपण राजाका लक्षण हस्ति-तुरगादिरूप अठारह श्रेणियां ४३ अधिराज, महाराज, अर्धमण्डलीक, मण्डलीक, महामण्डलीक, अर्धचक्री, सकल चक्री और तीर्थंकर, इनके लक्षण मोक्षसुखका निरूपण श्रुतके अभ्यासका फल शास्त्रप्रमाण शास्त्रनाम कर्ताक निरूपणमें द्रव्य, क्षेत्र, काल और भावसे अर्थकर्ताका कथन । ग्रन्थकर्ताका निरूपण उपसंहारसे मूलतंत्रकर्ता, उपतंत्रकर्ता __और अनुतंत्रकर्ताका निरूपण राग-द्वेषरहित गणधर देवद्वारा द्रव्य श्रुतरचनाका प्रयोजन प्रमाण, नय व निक्षेपके विना होनेवाला प्रतिभास प्रमाण, नय व निक्षेपका लक्षण आचार्यपरम्परागत त्रिलोकप्रज्ञप्तिके कथनकी प्रतिज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy