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-४. २१३२
चउत्थो महाधियारो
पुग्वस्सि चित्तणगोपच्छिमभाए विचित्तकूडोय। जमकमेषगिरि व सवं चिय वण्णणं तणं॥२१२५ जमकगिरिंदाहिंतो पंचसया जोयणाणि गंतूणं। पंच दहा पत्तेक सहस्सदलजोयणंतरिदा॥२१२५
५००। णीलकुरुइंदुएरावदो य णामेहि मालवतो य । ते दिव्वदहा णिसहदहादिवरवण्णणेहिं जुदा ॥ २१२६ - दुसहस्सा बाणउदी जोयण दोभाग अणवीसहिदा । चरिमदहादो दक्षिणभागे गंतूण होदि वरवेदी॥२१२७ पुवावरभाएसं सा गयदंताचलाण संलग्गा। इगिजोयणमुत्तंगा जोयणभट्टसवित्थारा ॥२१२८
जो १ । १०००। चरियथालयपउरा सा वेदी विविधयवडेहि जुदा । दारोवरिमठिदेहि जिणिंदभवणेहि रमणिज्जा ॥ २१२९ वरभदसालमज्झे सीदादुतडेसु दिग्गइंदगिरी। रोचणवतंसकृडे सट्टियगिरिवण्णणेहिं जुदा ॥ २१३० णवरि विसेसो एको ईसाणिदस्स वाहणो १ देवो। णामेणं वइसमणो तेसुं लीलाए चेटेदि ॥ २१३१ सीदातरंगिणीए पुवम्मि तदो जिर्णिदपासादो । मंदरउत्तरपासे गयदंतमंतरे होदि ॥ २१३२
सीताके पूर्वमें चित्रनग और पश्चिम भागमें विचित्रकूट है। इनका सब वर्णन यमक और मेघगिरिके सदृश ही समझना चाहिये ॥ २१२४ ॥
यमकपर्वतोंके आगे पांचसौ योजन जाकर पांच द्रह हैं, जिनमेंसे प्रत्येक अर्ध सहन अर्थात् पांचसौ योजनप्रमाण दूरीपर हैं ॥ २१२५ ।। ५०० ।
नील, कुरु ( उत्तरकुरु ), चन्द्र, ऐरावत और माल्यवन्त, ये उन दिव्य द्रहोंके नाम हैं। ये दिव्य द्रह निषधद्रहादिकके उत्तम वर्णनोंसे युक्त हैं ॥ २१२६॥
___ अन्तिम द्रहसे दो हजार बानबै योजन और उन्नीससे भाजित दो भागप्रमाण जाकर दक्षिणभागमें उत्तम वेदी है ॥ २१२७ ॥
___ वह वेदी पूर्व-पश्चिम भागोंमें गजदन्तपर्वतोंसे संलग्न, एक योजन ऊंची और योजनके आठवें भागप्रमाण विस्तारसे सहित है ।। २१२८ ॥ यो. १ । द. १००० ।
प्रचुर मार्ग व अट्टालिकाओंसे सहित और नाना प्रकारकी ध्वजा-पताकाओंसे संयुक्त वह वेदी द्वारोंके उपरिम भागोंमें स्थित जिनेन्द्र भवनोंसे रमणीय है ॥ २१२९ ॥
उत्तम भद्रशालवनके मध्यमें सीतानदीके दोनों किनारोंपर स्वस्तिक [व अंजन ] गिरिक समान वर्णनोंसे युक्त रोचन व अवतंसकूट नामक दिग्गजेन्द्रगिरि हैं ॥ २१३० ॥
विशेषता केवल एक यही है कि उन भवनों में ईशानेन्द्रका वैश्रवण नामक वाहनदेव लीलासे निवास करता है ।। २१३१ ॥
गजदन्तके अभ्यन्तर भागमें सीतानदीके पूर्व और मन्दरपर्वतके उत्तरपार्श्वभागमें जिनेन्द्रप्रासाद स्थित है ॥ २१३२ ॥
१ द ब चेत्तणगो. २ द ब विचित्तकूडा. ३ द ब कुरुद्दहएवावदा. ४ ब ते हिव्व.५ द ब भागा. ६ दब अर्द्धस".७द बदं ४०००। ८ ब वरियद्यालय'. ९द दारोवरिमरिदेहि, बदारोपरमतलेटिं. १० द ब रावणतवस्स कूडेसटिगिरि . ११ द ब वाहणा.
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