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- ४. २०२५ ]
उत्थो महाधिपाये
पासम्म मेरुगिरिणो पंचसया जोयणाणि उच्छेद्दों । णिरुवमरूवधराणं ताणं वक्खारसेलाणं ॥ २०१९ दुगुणम्मि भद्दसाले मेरुगिरिंदस्स खिवसु' विक्खभं । दोसेलमज्झजीवा तेवण्णसहस्सजोयणा होंति ।। २०२०
५३००० ।
अयि विदेहरुंद पंचसहस्त्राणि तत्थ अवणिजं । दोवक्खारगिरीणं जीवाबाणस्स परिमाणं || २०२१ पणवीससहस्से हिं अब्भहिया जोयणाणि दो लक्खा । उणवीसेहिं विद्दत्ता बाणस्स पमाणमुद्दिनं ॥ २०२२ २२५००० ।
१९
जोयणसद्विसहस्सं चत्तारि सया य अट्ठरसजुत्ता । उणवीसहरिदबारसकलाओ वक्खारधणुष्टुं ॥ २०२३
६०४१८ । १२ ।
१९
जोयणतीससहस्सा णवउत्तरे दो सया य छन्भाया । उणवीसेद्दि विहत्ता ताणं सरिसायदाने दीहत्तं ॥ २०२४
३०२०९ । ६ ।
१९
जीवाए जं वग्गं चउगुणबाणष्पमाणपविद्दत्तं । इसुसंजुत्तं तार्ण अंतरवस्त्र विक्खभं ॥। २०२५
[ ४०३
धारण करनेवाले उन वक्षारपर्वतोंकी उंचाई मेरुपर्वतके पास में पांचसौ योजन प्रमाण हो गई है ।। २०१८-२०१९ ॥
[वक्षारके विस्तारसे रहित] भद्रशालवन के विस्तारको दुगुणा करके उसमें मेरु पर्वत के विस्तारको मिला देने पर दोनों पर्वतोंके मध्यमें जीवाका प्रमाण तिरेपन हजार योजन आता है || २०२० ॥ ५०० ) x २ + १०००० = ५३०००
( २२०००
१९
विदेह विस्तारको आधा करके उसमेंसे पांच हजार कम कर देनेपर दो वक्षारपर्वतों की जीवा के बाण का प्रमाण निकलता है ॥। २०२१ ॥ ६४०००० ÷२ ५००० = उपर्युक्त बाणका प्रमाण उन्नीससे भाजित दो लाख पच्चीस हजार योजन कहा गया है ॥ २०२२ ॥ २२५००० ।
१९
साठ हजार चार सौ अठारह योजन और उन्नीस से भाजित बारह कलाप्रमाण वक्षारपर्वतोंका धनुष्पृष्ठ है || २०२३ ॥ ६०४१८१३ ।
१ द ब चिरसु. २ द व उत्ता ३ द ब सुविसायदाण
तीस हजार दोसौ नौ योजन और उन्नीससे विभक्त छह भागप्रमाण उन सदृश आयत क्षारपर्वतों की लंबाई है || २०२४ ॥ ३०२०९६ ।
जीवाका जो वर्ग हो उसमें चौगुणे बाणप्रमाणका भाग देकर लब्धराशिमें बाणप्रमाणको मिला देने पर उनके अन्तर्वृत्त क्षेत्रका विष्कम्भ निकलता है २०२५ ॥
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२२५००० १९
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