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-४.१४७४ ]
चउत्थो महाधियारो
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· सगवासं कोमारो संजमकालो हवेदि चोत्तीसं। अडवीस भंगकालो एयारसमस्स रुदस्स ॥ १४६७
७।३४२८। दो रुदा सत्तमए पंच च्छट्टम्मि पंचमे एक्को। दोणि चउत्थे पडिदा एक्करसो तदियणिरयम्मि ॥ १४६८ भीममहमीमरुद्दा महरुद्दो दोण्णि कालमहकाला । दुम्मुहणिरयमुहाधोमुहणामा णव य णारदा ॥ १४६९ रुद्दावह अइरुद्दा पावणिहाणा हवंति सब्वे दे। कलहमहाजुज्झपिया अधोगया वासुदेव व्व ॥ १४७० उस्सेहाउतित्थयरदेवपञ्चक्खभावपहुदीसुं । एदाण णारदाणं उवएसो अम्ह उच्छिण्णो' ॥ १४७१
।णारदा गया। कालेसु जिणवराणं चउवीसाणं हवंति चउवीसा । ते बाहुबलिप्पमुहा कंदप्पा णिरुवमायारा ॥ १४७२ तित्थयरा तग्गुरओ चक्कीबलंकेसिरुद्दणारहा। अंगजकुलयरपुरिसा भविया सिझंति णियमणं ॥ १४७३ णिध्वाणे वीरजिणे वासतये अट्ठमासपक्खेसुं । गलिदेसुं पंचमओ दुस्समकालो समल्लियदि ॥ १४७४
ग्यारहवें रुद्रका कुमारकाल सात वर्ष, संयमकाल चौंतीस वर्ष और भंगसंयमकाल अट्टाईस वर्षप्रमाण है ।। १४६७ ॥ ७ । ३४ । २८ ।
इन ग्यारह रुद्रोंमेंसे दो रुद्र सातवें नरकमें, पांच छठेमें, एक पांचवेमें, दो चौथेमें, और ग्यारहवां तृतीय नरकमें गया ॥ १४६८ ॥
भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र, काल, महाकाल, दुर्मुख, नरकमुख और अधोमुख, ये नौ नारद हुए ॥ १४६९ ॥
ये सब नारद अतिरुद्र होते हुए दूसरोंको रुलाया करते हैं और पापके निधान होते हैं। सब ही नारद कलह एवं महायुद्धप्रिय होनेसे वासुदेवोंके समान अधोगत अर्थात् नरकको प्राप्त हुए ॥ १४७० ॥
इन नारदोंकी उंचाई, आयु और तीर्थंकरदेवोंके प्रत्यक्षभावादिकके विषयमें हमारे लिये उपदेश नष्ट हो चुका है ॥ १४७१ ॥
नारदोंका कथन समाप्त हुआ। चौबीस तीर्थंकरोंके समयोंमें अनुपम आकृतिके धारक वे बाहुबलिप्रमुख चौबीस कामदेव होते हैं ॥ १४७२ ॥
तीर्थकर, उनके गुरुजन ( माता-पिता ), चक्रवर्ती, बलदेव, नारायण, रुद्र, नारद, कामदेव और कुलकर पुरुष, ये सब भव्य होते हुए नियमसे सिद्ध होते हैं ॥ १४७३ ।।
वीर भगवान्का निर्वाण होनेके पश्चात् तीन वर्ष, आठ मास और एक पक्षके व्यतीत हो जानेपर दुष्षमाकाल प्रवेश करता है ॥ १४७४ ॥
१द ब महरुद्दा. २ बवासुदेवो. ३ दबउच्छिण्णं. ४ दब 'बलि. TP43.
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