SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 396
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ४. १४१८ ] उत्थो महाधियारो [ ३२९ होंति तिविदुविट्ठा सयंभुपुरुसुत्तमा य पुरिससीहो । पुरिसवरपुंडरीभो' दत्तो णारायणो किण्हो ॥ १४१२ अस्सग्गीवो तारगमेरगमधुकीटभो जिसुंभो य । बलिपहरणो य रावणजरसंघा' णव य पडिसत्तू ॥ १४१३ बलदेववासुदेवप्पाडसत्तूणं जाणावणटुं संदिट्ठी पंच जिनिंदे बंदंति केसवा पंच आणुपुब्वीए । सेयंससामिपहुदिं तिविट्ठपमुद्दा य पत्तेक्कं ॥ १४१४ अरमलिअंतराले णादग्यो पुंडरीयामो सो । मल्लिमुणिसुन्वयाणं विच्चाले दत्तणामो सो' ॥ १४१५ सुन्वयणमिसामीण मज्झे णारायणोः समुप्पण्णो । णेमिसमयम्मि किण्णो एदे णव वासुदेवा य ॥ १४१६ दस सुष्ण पंच केसव छस्सुण्णा केसि सुण्ण केसीभो । तियसुण्णमेक्ककेसी दो सुष्णं एक्क केसि तिय सुष्णं ॥ १४१७ ११११११|१|१|१|१|१|१|१|११ 0.09 १ १ ० 090090 ० १०१०१ २२०००००० ०० ०० ०० ० २ २ २ २ २ २ ० ०० २ ० २ ० ० २ ० २० ० 000000 ० ० ० ० ३ ३ ३ ३ ३ ० 0 ०० ० ० ३० ०३० ० सीदी सत्तार सट्ठी पण्णा पणदाल ऊणतीसाणि । बावीस सोलदसधणु केसित्तिदयाम्मि उच्छेदो ॥ १४१८ ८० । ७० । ६० । ५० । ४५ । २९ । २२ । १६ । १० । । इदि उस्सेहो । त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयम्भु, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषपुण्डरीक, ( पुरुष ) दत्त, नारायण ये नौ नारायण हुए । १४१२ ॥ अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निशुम्भ, बलि, प्रहरण, रात्रण और जरासंघ, ये नौ प्रतिशत्रु ( प्रतिनारायण ) हुए || १४१३ ॥ बलदेव, वासुदेव और प्रतिशत्रुओंके जाननेके लिये संदृष्टि त्रिपृष्ठ आदिक पांच नारायणोंमेंसे प्रत्येक क्रमसे श्रेयांस स्वामी आदिक पांच तीर्थकरों की वन्दना करते हैं, अर्थात् ये पांच नारायण अनुक्रमसे श्रेयांस स्वामी आदिक पांच तीर्थंकरों के काल में हुए ॥ १४१४ ॥ और कृष्ण, अर और मल्लिनाथ तीर्थंकरके अन्तरालमें वह पुण्डरीक नामक तथा मल्लि और मुनिसुव्रत अन्तराल में दत्त नामक नारायण जानना चाहिये ॥ १४१५ ॥ सुव्रत और नमि स्वामी मध्यमें नारायण ( लक्ष्मण ) और भगवान नेमिनाथ के समय में कृष्ण नामक नारायण उत्पन्न हुए । ये नौ वासुदेव हुए || १४१६ ॥ दश शून्य, पांच नारायण, छह शून्य, नारायण, शून्य, नारायण, तीन शून्य, एक नारायण, दो शून्य, एक नारायण और अन्तमें तीन शून्य, ( इसप्रकार नौ नारायणोंकी संदृष्टिका क्रम जानना चाहिये ) || १४१७ ॥ ( संदृष्टि मूल में देखिये ) अस्सी, सत्तर, साठ, पचास, पैंतालीस, उनतीस, बाईस, सोलह और दश धनुषप्रमाण क्रमसे उन केशवत्रितय अर्थात् नारायण, प्रतिनारायण और बलदेवोंके शरीरकी उंचाई थी ॥ १४१८॥ प्रथम ८० । द्वि. ७० । तृ. ६० । च. ५० । पं. ४५ । ष २९ । स. २२ । अ. १६ । न. १० धनुष । इसप्रकार उत्सेधका कथन समाप्त हुआ | १ द ब पुंडरीया. २ द ब मधुकीटगा. ३ द ब जर सिंधू. ४ द व 'णामस्स. ५ द व दत्तणामस्स. ६ द ब के सित्तदयम्मि. TP. 42 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy