________________
- ४. १४०४ ]
उत्थो महाधियारो
[ ३२७
वइपरिवेढो' गामो णयरं चउगोउरेहि रमणिज्जं । गिरिसरिकदपरिवेट' खेडं गिरिवेदिदं च कव्वडयं ॥ १३९८ पणसयपमाणगा मप्प हाणभूदं मडंबणामं खु । वररयणाणं जोणी पट्टणणामं विणिद्दि ॥ १३९९ दोणामुहाभिधाणं सरिवइवेलाए वेढियं जाण । संवाहणं ति बहुविहरण्णमहासेलसिहरत्थं ॥ १४०० [ । एवं विभवो समत्तो । ]
1807
भर छलक्खपुब्वा इगिसट्टिसहस्सवासपरिहीणा । तीससहस्सूणाणि सत्तरि लक्खाणि पुष्व सगरम्मि ॥ १४०१ ६००००० रिण वरिस ६१००० । सगर पुव्व ७०००००० रिण ३०००० । णउदिसहस्सजुदाणिं लक्खाणि तिष्णि मघवणामम्मि । णउदिसहस्सा वासं सणक्कुमारम्मि चक्कहरे ॥ १४०२ ३९०००० । ९०००० ।
चवीससहस्साणि वासाणिं दोसयाणि संतिम्मि । तीवीससहस्साइं इगिसयपण्णाधियाइं कुंथुम्मि ॥ १४०३ २४२०० | २३१५० ।
वीससहस्सा वस्सा छस्सयजुत्ता अरम्मि चक्कहरे । उणवण्णसहस्साई पणसयजुत्ता सुभउमम्मि ॥ १४०४ २०६०० । ४९५०० ।
वृति से वेष्टित ग्राम, चार गोपुरोंसे रमणीय नगर, पर्वत और नदीसे घिरा हुआ खेट, और केवल पर्वतसे वेष्टित कर्बट कहलाता है | १३९८ ॥
जो पांचसौ ग्रामोंमें प्रधानभूत होता है उसका नाम मटंब, और जो उत्तम रत्नोंकी योनि होता है उसका नाम पट्टन कहा गया है ॥ १३९९ ॥
समुद्री वेलासे वेष्टित द्रोणमुख और बहुत प्रकारके अरण्योंसे युक्त महापर्वतके शिखर पर स्थित संवाहन जानना चाहिये || १४०० ॥
[ इसप्रकार विभवका वर्णन समाप्त हुआ । ]
भरत चक्र
[ राज्यकालका प्रमाण ] इकसठ हजार वर्ष कम छह लाख पूर्व और सगर चक्रवर्तीके राज्यकालका प्रमाण तीस हजार वर्ष कम सत्तर लाख पूर्वप्रमाण है | १४०१ ॥ भरत पूर्व ६००००० - वर्ष ६१००० । सगर पूर्व ७०००००० - वर्ष ३००० ।
मघवा नामक चक्रवर्तीका राज्यकाल तीन लाख नब्बे हजार वर्ष और सनत्कुमार चक्रवर्तीका राज्यकाल नब्बे हजार वर्षप्रमाण है | १४०२ ॥
मघवा ३९०००० । सनत्कुमार ९०००० ।
शान्तिनाथ चक्रवर्ती राज्यकालका प्रमाण चौबीस हजार दोसौ वर्ष और कुंथुनाथके राज्यकालका प्रमाण तेईस हजार एकसौ पचास वर्ष है || १४०३ ॥
शान्ति २४२०० | कुंथु २३१५० ।
अरनाथ चक्रधरका राज्यकाल बीस हजार छहसौ वर्ष, और सुभौम चक्रवर्तीका राज्यकाल उनंचास हजार पांचसौ वर्षप्रमाण है ।। १४०४ || अर २०६०० | सुभौम ४९५०० ।
१ द ब परिवेदो. २ द ब परिवेद
Jain Education International
३ द ब गिरिवेदेदं. ४ द ब वेदियं,
For Private & Personal Use Only
५ द सहस्सा.
www.jainelibrary.org