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-१. १३१८]
चउत्थो महाधियारो
मंतीणं उवरोधे जलभ साहयंति चकहरे । दसवरतुरंगधरिदे अजिदंजयणामधेयरहे॥ १३०९ भारुहिऊणं गंगादारेणं पविसिदूण अणुउवहिं । बारसजोयणमेत्तं सम्वे गच्छंति णो परदो ॥ १३१० मागधदेवस्स तदो भोलगसालाए रयणवरकलसं । विधति सणामंकिदबाणेण अमोघणामेणं ॥ १३११ सोदूण सरणिणाद मागधदेवो' वि कोधमुन्वहह । ताहे तस्स य मंती वारंते महरसहेणं ॥ १३१२ .. रयणमयपडलियाए कंट' घेत्तण कुंडलादि च । दत्ता मागधदेवो' पणमह चक्कीण पयमूले ॥ १३१३ ते तस्स अभयवयणं दादूण य मागधेण सह सम्वे । पविसिय खंधावार विजयपयाणाणि कुवंति ॥ १३१४ तत्तो उववणमझे दीवस्स पदक्खिणेण ते जंति । जंबूदीवस्स पुढं दक्षिणवरवइजयंतदारते ॥ १३१५ दारम्मि वहजयंते पविसिय लवणंबुहिम्मिचकहरा । पुवं व कुणंति वसं वरतणु णामंकियसरेणं ॥ १३१६ तत्तो भागंतूर्ण खंधावारम्मि पविसिऊणं च । दीउववणप्पहेणं गच्छेते सिंधुवणवेदि ॥ १३१७ तीए तोरणदारं पविसिय पुग्वं व चेट्टदे सेण्णं । सिंधुणदीए दारं पविसिय साहति ते पभाससुरं ॥ १३९८
वहांपर चक्रवर्ती मंत्रियोंके उपरोधसे जलस्तम्भ (जलस्तम्भिनी) विद्याको सिद्ध करते हैं । पुनः दश उत्तम घोड़ोंसे धारण किये गये अजितंजय नामक रथपर चढ़कर और गंगाद्वारसे प्रवेश कर वे सब समुद्रतटके अनुसार बारह योजनप्रमाण जाते हैं, आगे नहीं ॥ १३०९-१३१० ॥
फिर वहांसे अपने नामसे अंकित अमोघ नामक बाणद्वारा मागधदेवकी ओलगशालाके रत्नमय उत्तम कलशको भेदते हैं ।। १३११॥
मागधदेव भी बाणके शब्दको सुनकर क्रोधको धारण करता है, परन्तु उस समय उसके मंत्री उसे मधुर शब्दोंके द्वारा निवारण करते हैं ॥ १३१२ ॥
तब वह मागधदेव रत्नमय पटलिकामें उस बाण और कुण्डलादिकको लेकर और उन्हें देकर चक्रवर्तियोंके चरणों में प्रणाम करता है ॥ १३१३ ॥
वे उसे अभयवचन देकर और मागधदेवके साथ सब कटकमें प्रवेशकर विजयके लिये प्रस्थान करते हैं ॥ १३१४ ॥
फिर वे वहांसे उपवनके बीचमें होकर द्वीपके प्रदक्षिणरूपसे जम्बूद्वीपके वैजयन्त नामक उत्तम दक्षिणद्वारके समीप तक जाते हैं । १३१५ ॥
वे चक्रवर्ती वैजयन्तद्वारसे लबणाम्बुधिमें प्रवेशकर पहिलेके समान ही अपने नामांकित बाणसे वरतनु नामक देवको वशमें करते हैं ॥ १३१६ ॥
पुनः वहांसे आकर और कटकमें प्रवेशकर द्वीपोपवनके मार्गसे सिन्धुनदीसम्बन्धी वनवेदिकाकी ओर जाते हैं ॥ १३१७ ॥
___ उसके तोरणद्वारमें प्रवेशकर पहिलेके समान ही सेना ठहर जाती है और वे चक्रवर्ती सिन्धुनदीके द्वारमें प्रविष्ट होकर प्रभासदेवको सिद्ध करते हैं ॥ १३१८ ॥
१ द व मागधदेवा. २ द ब तादे. ६ द लवर्ण बुहम्मि. ७ दबतोरणेहिं दारं..
३ द ब कदं. ४ द ब मागधदेवा. ५ द ब खंधादारं.
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