SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ –४. ९५८] चउत्थो महाधियारो संवच्छरतिदणियपणवीससहस्सयाणि पुव्वाणि । सीयलजिणम्मि कहिदं केवलिकालस्स परिमाण ॥ ९५२ सीअ पुष्व २४९९९ अंग ९३९९९९९ वस्स ८३९९९९७ । इगिवीसवस्सलक्खा दोहि विहीणा पुहुम्मि सेयंसे । चउवण्णवासलक्खं ऊणं एक्केण वासुपुजाजिणे ॥ १५३ सेयंस वस्स २०९९९९८ । वासुपुज ५३९९९९९ । पण्णरसवासलक्खा तिदयविहीणा य विमलणाहम्मि । सयकदिहदपण्णत्तरिवासा दोविरहिदा अणंतजिणे।।५४ विमैल १४९९९९७ । अणंत वास ७४९९९८ । पंचसयाणं वग्गो अणो एक्केण धम्मणाहम्मि । दसघणहदपणुवीसा सोलसहीणा य संतीसे ॥ ९५५ धम्म वस्स २४९९९९ । संति २५९८४ । चोत्तीसाधियसगसय तेवीससहस्सयाणि कुंथुम्मि । चुलसीदीजुदणवसयवीससहस्सा अरम्मि वासाणं ॥ ९५६ कुथु २३७३४ । अर २०९८४ । णवणउदिअधियअडसयचउवण्णसहस्सयाणि वासाणि । एक्करसं चिय माला चउवीस दिणाइ मल्लिम्मि ।। ६५७ मल्लि वास ५४८९९ मा ९९ दि २४ । णवणउदिषधियचउसयसत्तसहस्साणि वच्छराणि पि । इगिमासो सुम्वदए केवलिकालस्स परिमाणं ॥ ९५८ सुन्वद ७४९९ मा ९। शीतलनाथ तीर्थकरके केवलिकालका प्रमाण तीन वर्ष कम पञ्चीस हजार पूर्व कहा गया है ॥ ९५२ ॥ शीतल पूर्व २४९९९, पूर्वांग ८३९९९९९, वर्ष ८३९९९९७ । भगवान् श्रेयांस प्रभुका केवलिकाल दो कम इक्कीस लाख वर्ष, और वासुपूज्य जिनेन्द्रका एक कम चौवन लाख वर्ष है ॥ ९५३ ॥ श्रेयांस वर्ष २०९९९९८ । वासुपूज्य वर्ष ५३९९२५९ । विमलनाथ तीर्थकरका केवलिकाल तीन कम पन्द्रह लाख वर्ष और अनन्तनाथ जिनका सौके वर्गसे गुणित पचत्तर से दो कम अर्थात् सात लाख उनचास हजार नौसौ अट्ठानबै वर्षप्रमाण है ॥ ९५४ ॥ विमल वर्ष १४९९९९७ । अनन्त वर्ष ७४९९९८ ।। धर्मनाथ तीर्थकरका केवलिकाल पांचसौके वर्गमेंसे एक कम, और शान्तिनस्य भगवान्का दशके घनसे गुणित पच्चीसमेंसे सोलह वर्ष कम है ॥ ९५५ ॥ धर्म वर्ष २४९९९९ । शान्ति २४९८४ ।। भगवान् कुंथुनाथका केवलिकाल तेईस हजार सातसौ चौंतीस वर्ष, और अनाथ तीर्थकरका बीस हजार नौसौ चौरासी वर्षप्रमाण है ॥ ९५६ ।। कुंथु वर्ष २३७३४ । अर वर्ष २०९८४ । मल्लिनाथ तीर्थकरके केवलिकालका प्रमाण चौवन हजार आठसौ निन्यानबै वर्ष ग्यारह मास और चौबीस दिन है ।। ९५१ ॥ मल्लि वर्ष ५४८९९, मास ११, दिन २४ । सुव्रतनाथके केवलिकालका प्रमाण सात हजार चारसौ निन्यानबै वर्ष और एक मास है ॥ ९५८ ॥ सुव्रत वर्ष ७४९९, मास १ । १ [पहुम्मि ]. २ द ब पुश्व. ३ ब विमलस्स पुन्व, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy