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________________ -४. ८७७ ] चउत्थो महाधियारो [२५९ पणवीसाहियछस्सय अट्ठविहत्तं च पासणाहम्मि । एक्कसयं पणवीसब्भहियं वीरम्मि दोहि हिदं ॥ ८७२ ६२५ १२५ आरुहिणं तेसं गणहरदेवादिबारसगणा ते । कादणं वि पदाहिणमच्चंति संमुह' णाहं ॥ ८७३ थोदण थुदिसएहि असंखगुणसेढिकम्मणिज्जरणं । कादण पसण्णमणा णियणियकोट्टेसु पविसंति ॥ ८७४ ।पढमपीढा सम्मत्ता । पढमोवरिम्मि विदिया पीढा चेटुंति ताण उच्छेहो । चउदंडा आदिजिणे छब्भागोणा ये जाव णेमिजिणं ॥ ८७५ २४ | २३ | २२/२१/२०१९ १८१७) १६ १५/१४/१३ | १२ | ११/१०/९८७ पासजिणे पणदंडा बारसभजिदा य वीरणाहम्मि । एक्को चिय तियभजिदा णाणावररयणाणिलयइला ॥ ८७६ चावाणि छस्सहस्सा अट्ठहिदा ताण मेहलारुंदा । उसहजिणे पण्णाहियदोसयऊणा य गेमिपेरंतं ॥ ८७७ भगवान् पार्श्वनाथके समवसरणमें पीठकी मेखलाका विस्तार आठसे भाजित छहसौ पच्चीस धनुष, और वीर भगवानके दोसे भाजित एकसौ पच्चीस धनुषप्रमाण था ॥ ८७२ ॥ वे गणधरदेवादिक बारह गण उन पीठोंपर चढकर और प्रदक्षिणा देकर जिनेन्द्रदेवके सम्मुख होते हुए पूजा करते हैं ॥ ८७३ ॥ पश्चात् सैकड़ों स्तुतियोंद्वारा कीर्तन करके व असंख्यात गुणश्रेणीरूप कर्मोंकी निर्जरा करके प्रसन्नचित्त होते हुए अपने अपने कोठोंमें प्रवेश करते हैं ॥ ८७४ ॥ प्रथम पीठोंका वर्णन समाप्त हुआ। प्रथम पीठोंके ऊपर दूसरे पीठ होते हैं। भगवान् ऋषभदेवके समवसरणमें प्रथम पीठकी उंचाई चार धनुष थी। फिर इसके आगे उत्तरोत्तर क्रमशः नेमि जिनेन्द्रतक एक छठवां भाग कम होता गया है ॥ ८७५ ॥ पार्श्वनाथ तीर्थंकरके समवसरणमें प्रथम पीठका विस्तार बारहसे भाजित पांच धनुष, और वीरनाथके तीनसे भाजित एक धनुषमात्र था। ये द्वितीय पीठिकायें नाना प्रकारके उत्तम रत्नोंसे खचित भूमियुक्त होती हैं ॥ ८७६ ॥ ऋषभनाथ तीर्थंकरके समवसरणमें उन द्वितीय पीठोंकी मेखलाओंका विस्तार आठसे भाजित छह हजार धनुष था । फिर इसके आगे नेमिनाथपर्यन्त क्रमशः उत्तरोत्तर दोसौ पचास भाग कम होता गया है ॥ ८७७ ॥ ३ द विप्पणदाहीण. ४ मुहंमुह. १ द पणवीससहियछत्सय. २ द ब गणगणदेवादि. ५ द छन्भागो जाव. ६ ब णिलइयला. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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