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-४. ७२२ ]
चउत्थो महाधियारो
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• अवसप्पिणिए एदं भणिदं उस्सप्पिणीए विवरीदं । बारसजोयणमेत्ता सा सयलविदेहकत्ताणं ॥ ७१८
१।५।३।२।५।३।७।४।९।५।११।६।१३।७।१५।८। १७ । ९ । १९ ।
१०।२१।११ । २३ । १२ ।
। इह केई आइरिया पण्णारसकम्मभूमिजादाणं । तित्थयराणं बारसजोयणपरिमाणमिच्छति ॥ ७१९) । सामण्णभूमी समत्ती ।
पाठान्तरम् । सुरणरतिरियारोहणसोवाणा चउदिसासु पत्तेकं । वीससहस्सा गयणे कणयमया उदउद्दम्मि ॥ ७२०
२००००। उसहादी चउवीसं जोयण एक्कूण णेमिपजतं । चउवीसं भजिदवा दीहं सोवाण णादव्वा ॥ ७२१
२४ २३ २२ २३ २०१९/१८/१७ १६ १५) १४ | १३ १२११/१०/ ९ २४|२४|२४|२४|२४२४|२४|२४ २४.२४ २४|२४|२४|२४|२४|२४|
२४/२४ २४/२४.२४ २४ पासम्मि पंच कोसा चउ वीरे अट्ठतालअवहरिदा। इगिहत्थुच्छेहा ते सोवाणा एकहत्थवासा य ॥ ७२२
सोवाणा समत्ता।
यह जो सामान्य भूमिका प्रमाण बतलाया गया है, वह अवसर्पिणी कालका है। उत्सर्पिणी कालमें इससे विपरीत है । विदेह क्षेत्रके संपूर्ण तीर्थंकरोंके समवसरणकी भूमि बारह योजनप्रमाण ही रहती है ।। ७१८ ॥
यहां कोई आचार्य पन्द्रह कर्मभूमियोंमें उत्पन्न हुए तीर्थंकरोंकी समवसरणभूमिको बारह योजनप्रमाण मानते हैं ॥ ७१९ ॥
पाठान्तर। ____सामान्यभूमिका वर्णन समाप्त हुआ। देव, मनुष्य और तिर्यञ्चोंके चढ़ने के लिये आकाशमें चारों दिशाओंमें से प्रत्येक दिशामें ऊपर ऊपर सुवर्णमय बीस हजार सीढ़ियां होती हैं ॥ ७२० ॥
वृषभादिक चौबीस तीर्थंकरोंमेंसे भगवान् नेमिनाथपर्यन्त क्रमशः चौबीस और एक एक योजन कम चौबीसको चौबीससे भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतनी सोपानोंकी लम्बाई जानना चाहिये ।। ७२१ ॥
. भगवान् पार्श्वनाथके समवसरणमें सीढियोंकी लम्बाई अडतालीससे भाजित पांच कोस और वीरनाथके अड़तालीससे भाजित चार कोसप्रमाण थी। वे सीढ़ियां एक हाथ ऊंची और एक हाथ ही विस्तारवाली थीं ॥ ७२२ ॥
सोपानोंका कथन समाप्त हुआ।
१ब सम्मत्ता. TP. 30
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