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तिलोयपण्णत्ती
[ ४. ६२८
कामातुरस्स गच्छदि खणमिव संवच्छराणि बहगाणि । पाणितलधैरिदगंढो बहसो चिंतेदि दीणमहो॥ १२८ कामुम्मत्तो पुरिसो कामिजते जणे यलभर्माण । अत्तदि मरिढुं बहुधा मरुप्पपातादिकरणेहिं ॥ ६२९ कामप्पुण्णो पुरिसो तिलोकसारं पि जहदि सुदलाई । कुणदि असंजमबहुलं अणंतसंसारसंजणणं ॥ ६३० उच्चो धीरो वीरो बहुमाणीओ वि विसयलुद्धमई । सेवदि णीचं णिचं सहदि हु बहुगं पि' अवमाणं ॥ ६३१ दुक्खं दुजसबहुलं इह लोगे दुग्गदि पि परलोगे । हिंडदि दूरमपारे संसारे विसयलुद्धमई ॥ ६३२ विसयामिसेहिं पुण्णो अणंतसोक्खाण हेदु सम्मत्तं । सच्चारित्तं जहदि हु तणं व लजं च मज्जादं ॥ ६३३ सीदं उण्हं तण्हं छुधं च दुस्सेजभत्तपंथसमं । सुकुमालको वि कामी सहदि वहदि भारमतिगुरुगं ॥ ६३४ अवि य वधो जीवाणं मेहुणसण्णाए होदि बहुगाणं । तिलणालीए २ तत्तायसप्पवेसो ब्व जोणीए ॥ ६३५ इह लोके वि महलं दोस' कामस्स वसंगदो पत्तो । कालगदो वि अणते दुक्ख पावाद कामंधी ॥ ६३६
कामातुर जीवके बहुतसे वर्ष क्षणमात्रके समान चले जाते हैं। वह हस्ततलपर कपोलको रखकर दीनमुख होता हुआ बहुतप्रकार चिन्ता करता है ॥ ६२८ ॥
- कामोन्मत्त पुरुष अभीष्ट जनको न पाकर बहुधा मरुप्रपातादि साधनोंसे मरनेकी चेष्टा करता है ॥ ६२९॥
कामसे परिपूर्ण पुरुष तीन लोकमें श्रेष्ठ श्रुतलाभको छोड़ देता है और अनन्त संसारको उत्पन्न करनेवाले प्रचुर असंयमको करता है ॥ ६३० ॥
___ उच्च, धीर, वीर और बहुत मानी भी मनुष्य विषयमें लुब्धबुद्धि होकर नित्य ही नीचका सेवन करता है और बहुत प्रकारके अपमानको सहता है ॥ ६३१ ॥
___जिसकी बुद्धि विषयोंमें लुब्ध है, वह पुरुष इस लोकमें प्रचुर अपकीर्तियुक्त दुःखको तथा परलोकमें दुर्गतिको प्राप्त करके अपार संसारमें बहुत कालतक परिभ्रमण करता है । ६३२॥
विषयभोगोंसे परिपूर्ण पुरुष अनन्तसुखके कारणभूत सम्यक्त्व, सम्यक्चारित्र, तथा लज्जा और मर्यादाको तृणके समान छोड़ देता है ॥ ६३३ ॥ - सुकुमार भी कामी पुरुष शीत, उष्ण, तृष्णा, क्षुधा, दुष्ट शय्या, खोटा आहार और मार्गश्रमको सहता है तथा अत्यन्त भारी बोझेको ढोता है ।। ६३४ ॥
___ तथा, मैथुनसंज्ञासे तिलोंकी नालीमें तप्त लोहेके प्रवेशके समान योनिमें बहुतसे जीवोंका वध होता है ॥ ६३५॥
___कामके वशीभूत हुआ पुरुष इस लोकमें भी महान् दोषको प्राप्त होता है और कामान्ध हुवा मरकर परलोकमें भी अनन्त दुःख पाता है ॥ ६३६ ॥
१द खणमवि. २ ब पालितल'. ३ द ब दीणमुहे. ४ द जणो य अभमाणो, ब जणे य अममाणो. ५ द व पुत्तदि. ६ द कामं पुणो, ब कामं पुण्णो. ७ द ब उच्चा. ८ द लद्धमई. ९ द ब बहुवाणि . १.ब पुणो. ११ बजादि इ. १२द तिलणाणीए, बतिलघाणीए. १३ दब जाणीए. १४ द ब दोसा.
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