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तिलोयपण्णत्ती
[ ३. ११३
इंदादीपंचण्णं सरिसो आहारकालपरिमाणं । तणुरक्खप्पहुदीणं तस्सि उवदेस उच्छिपणो॥ ११३ चमरदुगे उस्सासं पण्णरसदिणाणि पंचवीसदलं । पुह पुह मुहुर्तयाणि भूदाणंदादिछक्कम्मि ॥ ११४
दि १५। मु २५ ।
बारसमुहुत्तयाणि जलपहपहुदीसु छस्सु उस्सासा । पण्णरसमुहत्तदलं अमिदगदिप्पहुदिछण्णं पि ॥११५
मु १२ । १५।
दसवरुससहस्साऊ जो देवो तस्स भोयणावसरो । दोसु दिवसेसु पंचसु पल्लपमाणाउजुत्तस्स ॥ ११६ जो यजुदाऊ देवो उस्सासा तस्स सत्तपाणेहिं । ते पंचमुहुत्तेहिं पलिदोवमभाउजुत्तस्स ॥ ११७ पडिइंदादिचउणं इंदस्सरिसा हुवंति उस्सासा । तणुरक्ख पहुदीसु उवएसो संपइ पणट्ठो ॥ ११८ सब्वै असुरा किण्हा हुवंति जागा वि कालसामलया। गरुडा दीवकुमारा सामलवण्णा सरीरेहिं ॥ ११९ उदधित्थणिदकुमारा ते सब्वे कालसामलायारा । विज्जू विज्जुसरिच्छा सामलवण्णा दिसकुमारा ॥ १२०
इन्द्रादिक ( इन्द्र, प्रतीन्द्र, सामानिक, त्रायस्त्रिंश और पारिषद ) पांचके आहारकालका प्रमाण समान है। इसके आगे तनुरक्षकादि देवोंके आहारकालके प्रमाणका उपदेश नष्ट होगया है ॥ ११३ ॥
__चमरेन्द्र और वैरोचन इन्द्रके पन्द्रह दिनमें, तथा भूतानन्दादिक छह इन्द्रोंके पृथक् पृथक् पच्चीसके आधे अर्थात् साढ़े बारह मुहूर्तोमें उच्छ्वास होता है ॥ ११४ ॥ दि. १५ । मुहूर्त ३।
जलप्रभादिक छह इन्द्रोंके बारह मुहूर्तोंमें, और अमितगति आदि छह इन्द्रोंके पन्द्रहके आधे अर्थात् साढे सात मुहूर्तोंमें उच्छ्वास होता है ।। ११५ ॥ मु. १२ । १५ ।।
___ जो देव दश हजार वर्षकी आयुवाला है, उसके दो दिनों, और पल्योपमप्रमाण आयुसे युक्त देवके पांच दिनमें भोजनका अवसर आता है ॥ ११६ ॥
__ जो देव अयुत अर्थात् दश हजार वर्षप्रमाण आयुवाला है, उसके सात श्वासोच्छ्वासप्रमाण कालमें, और पल्योपमप्रमाण आयुसे युक्त देवके पांच मुहूर्तोंमें उच्छ्वास होते हैं ॥ ११७ ॥
प्रतीन्द्रादिक चार देवोंके उच्छ्वास इन्द्रोंके समान ही होते हैं। इसके आगे तनुरक्षकादि देवोंमें उच्छ्वासकालके प्रमाणका उपदेश इस समय नष्ट हो गया है ॥ ११८ ॥
सब असुरकुमार शरीरसे कृष्ण, नागकुमार कालश्यामल, और गरुड़कुमार व द्वीपकुमार श्यामलवर्ण होते हैं ॥ ११९ ।।
सम्पूर्ण उदधिकुमार और स्तनितकुमार कालश्यामल आकारवाले, विद्युत्कुमार विजलीके सदृश, और दिक्कुमार श्यामलवर्ण होते हैं ॥ १२० ॥
१ द रक्खपहूदीणं. २ द ब उवदेस उच्छिण्णा. ३ ब पणरस'. ४ ब मुहुत्तयाणं. ५ द पमाणाबजुलस्स. ६ द देओ. ७ द व पलिदोवमयावजुत्तस्स. ८ द ब उदधिंधणिद°.
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