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१२४ ] तिलोयपण्णती
[३.९९पुह पुह सेसिंदाणं वल्लभिया होति दो सहस्साणि । बत्तीस सहस्साणि संमिलिदे सव्वदेवीओ ॥ ९९
२०००। ३२०००। पडिइंदादिचउपहं वल्लहियाणं तहेव देवीणं । सव्वं विउवणादिं णियणियइंदाण सारिच्छं ॥१०० सव्वेसुं इंदेसु तणुरक्खसुराण होति देवीओ। पत्तेकं सग्रमेत्ता णिरुवमलावण्णबालाओ। १०१
अड्डाइजसयाणि देवीओ दुवे सया दिवडसयं । आदिममझिमबाहिरपारसासुं होंति चमरस्स ॥ १०२
२५० । २०० । १५० । देवीओ तिणि सया अड्डाइज सयाणि दुसयाणि । आदिममज्झिम बाहिरपरिसासु होति विदियइंदस्स ॥ १०३
३०० । २५० । २००। दोणि सया देवीओ सट्ठीचालादिरिसएकस यं । णागिंदाणं भब्भितरादितिप्परिसदेवेसु ॥ १०४
२०० । १६०।१४॥ सट्रीजुदमेकसयं चालीसजुदं वीससहियमेक्कसयं । गरुडिंदाणं अब्भंतरादितिप्परिसदेवीभो॥ १०५
१६० । १४० । १२०
शेष इन्द्रोंके पृथक् पृथक् दो हजार वल्लभा देवियां होती हैं । इसप्रकार मिलकर प्रत्येक इन्द्रके सब देवियां बत्तीस हजारप्रमाण होती हैं ॥ ९९ ॥
वल्लभा २००० + सपरिवार अग्रदेवी ३०००० = ३२००० ।
प्रतीन्द्र, त्रायस्त्रिंश, सामानिक और लोकपाल, इन चारके वल्लभायें, तथा इन देवियोंकी सम्पूर्ण विक्रिया आदि अपने अपने इन्द्रोंके समान ही समझना चाहिये ॥ १० ॥
__ सब इन्द्रोंके तनुरक्षक देवोंमेंसे प्रत्यकके अनुपम लावण्यको धारण करनेवाली सौ बाला देवियां होती हैं ॥ १०१ ॥ १००।
चमरेन्द्र के आदिम पारिषद, मध्यम पारिषद और बाह्य परिषद देवोंके क्रमसे ढाईसौ, दोसौ और डेढसौ देवियां होती हैं ॥ १०२ ॥ २५०, २००, १५० ।
द्वितीय इन्द्रके आदिम पारिषद, मध्य पारिषद और बाह्य पारिषद देवोंके क्रमसे तीनसौ, ढाईसौ और दोसौ देवियां होती हैं ॥ १०३ ॥ ३००, २५०, २००।
नागेन्द्रोंके अभ्यन्तरादिक तीनोंप्रकारके पारिषद देवोंके क्रमसे दोसौ, एकसौ साठ और एकसौ चालीस देवियां होती हैं ।। १०४ ॥ २००, १६०, १४०।
गरुडेन्द्रोंके अभ्यन्तरादिक तीनों पारिषद देवोंके क्रमसे एकसौ साठ, एकसौ चालीस और एकसौ बीस देवियां होती हैं ॥ १०५ ॥ १६०, १४०, १२० ।
द ब ‘चालादिरत्त. २ द व तिप्परिसदेवीसु.
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