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________________ १०६ ७. पाठान्तराणि उद्देश-६४ १ °ओ परमतुट्ठो १ मत्तागम कज्जे २ जम्बूणमाइ २ पेसेहि 1561 पेसेइ 'चिणं ७ बन्धवपुत्ताण , ७ °ण होइ हिय सं क,ख ८ एयं भणिभो मंतीयणेण दह ९ महोसहि १० पुच्छि ओ १० पत्थिओ संशोधितं जे ११ °न्तो राहवं भणइ एत्तो क,ख १२ ण णम्ह क जे १५ जले जलणे य अस्स क,ख १६ भागा १६ तुमे २६ 'सु मे णस्थि दोसोत्तिक,ख २७ तुडेण हि ना जे ३२ पिच्छसु - ३२ 'रिसाई सपुरिस ३२ सुरिस क,ख ३३ विम्हिओ ३३ पावति जे ३३ जीवो ३४ नियं ठाणं ३५ हणुवो संपत्तो ३६ उवटिया ल ३७ करेहि क ख ३७ ण व, ,, ३८ आय च न ३८ समूससिओ जे संगीयप य तो ४० वियसिय ४. 'सियनय ४१ मंदिर ४३ गयतुरंगा । ४४ रूवसंपन्ना । ४५ सुपडिउत्तो सुपडिउत्ते ४५ परिणाइ क ४६ पुचविवजि इति जे,क,ख 'लासमागमाहिविहाण सम्मत्तं सम्मत्तं ३२ पुद्दई निरवसेस ३३ कण्णाहिं त्ति ३३ इव भुंज तइलोक ३४ सवयणो ३५ गामनगर जे,क ३५ समाउलं ३५ सामि ३६ वयणाणि ३६ पवमादी ३८ इमाणि जं ३८ कह वि न फिडिया पसटिल ३९ वुई ३९ तुम द ४. भमिस्सामि ४२ रिसाणि ४३ विज्जा, ४३ णविजो ४४ ण भोमहाहिवई ४४ समासणे ४५ न कुणसि विरोहसि २० सुपारामना २ °यसुए ३ हणुवो ३ 'ओ वि रा. ४ साकेय सागेय ५ उवणिज "न्तो य बो° ६ 8 एवं सं "" ८ सम्वे सा ८ सागेय १० वच्छाह सत्तुज्जमाइया १२ तलिच्छ । १३ लवणोयमन्तरे १५ ए। एयं देइ म क °ए। एयं देहि म ख १५ देसि म १६ पत्तण जे,क, १६ सित्तमित्तो . १८ चेव सा अण्णपुरिसस्स जे 'ण पवेसिओ "ण पवेसिओ गओ • क,ख २० सो कइगईए सो केगईठक २० ओ महुरसरोवयं २१ विमाण क,ख २२ कयादेवा जे २२ 'विमाणमिण " २३ सललिय २३ रेहि धुवंती २६ हणुवन्तं . 805881 मम, १७ ते, अण्ण च सहोयर च मे भायं जे मुपरिमिओ यते अहयं ,, २० इमं पुहई २२ दूतो २२ लाए सत्त २३ पुत्त सहों २४ ण य सीयं से समप्पेमि २६ रिसाई ज २६ 'विरुद्धाणि २६ वयणाणि 'ए काहाविय कि वा वि खिवसि °ए भाओ उ है, किंवा २७ वा विखिवसि २९ दारुणं ३. 'यं बूढं ३. मणूसा रुद्धो, ३१ मण्डलो ___ """ परिचयसु भुंअइ पुहइं णिरवसेसं . कख १६ वत्तं । नियय भुयासु य तरिउ कि इच्छसि राहवसमुई ४७ "यरो ब्व रणे । ४८ समुक्खिवंतो ४८ जेणं तु ४८ लच्छिणिलएणं ॥ क,ख ५० पवयण भडसमग क : जेक उद्देश-६५ रामण नाम पव्वं पव्वं ॥ 8 उद्देश-६६ क,ख १ पुरिसेहि २ मियंक , तूससि जइ वा रूससि, ३ सीहनामगरुडाओ जे ३ सामी ४ भाणुकण्णो ४ 'विजयाप जे,क,ख छा १ मन्तिणो सहिओ क,ख १ जइत्थे ३ 'न्तु, अत्ताणं ४ सहया य संगया ५ इ जोहिज्जइ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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