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________________ ९८ २३ कोचवर २८ पीईहर ३२ 'धोते स ३४ सिग्धं व जे. क .० ३८ क ४० विग्गमगं ४१ "गुज्जुयाउल ४२ ४३ साहेहि अ ४४ तीए निभे, तीए निम्मे ४५ अंग ४४ ४७ 'सुगमणो खेरे ४७ ५१ तस्स उम ५१ पंच सया चेव ५४ हंसवरोवहीय निग्घोसो ५६ बीओ ५७ णो य ना ५७ बिइओ ५८ मादिपि ५९ तो कि वहइ सपक्खं ६० जंपिएण माओ ६१ ६२ 'हि तुमं अ कारणं ई तन्थ वसइ ग ६२ ६३ ६२ नामे बंदो अमि ६४ ६४ विसालभूइ ६४ विसाहभूइ ६५ ६५ 'हि पुत्तेणं 'ण तेण ने ६० तं देवसमागमो कवि मूढो ६८ 'ण वरतरु · जे Jain Education International जे क जे 33 33 "" क जे 19 क जे 23 क जे 23 क ७० 39 ७१ ७१ ७१ ७१) मयूर ७२ J ७३ मयूरो ७४ ७५ ہاں ७७ ७७ ८० ८७ मयूरो तं आण लहुं अहम आहिद भणेहि लहुं महं म ७७ ७८ ७९. सदस भोगाई ७९ ८८ ८९ "वं च । मयूर नरोत्तम तो भण ९२ १३ जंबूण सुणेहि मज्झ भक्खाण जमुणा सिलावरो ८२ देसकाले ८४ ८५ ૮૭ सो एवं भाईह सपरिवारेहि नी संसय छहनि रोव्ह निययभवणं नरेंद ८९ पाडहि १७ नरेंदेण ९१ सरवरे गीतेण तो स ७. पाठान्तराणि , ६८ मुक्को सो बंधणाउ पहिएणं । तुट्टो जे ९३ तरुवरे, ६९ विप्पो अतीव तूरंतो ९४ जुई ६९ मयूरस चिय खणं वलयं पविसेऊण ǝq° ९५ "हिलाभ जे सहेण तेण भी मो नयर जणो पत्थियो य भडसहिओ । उम्मूले तरुबरं, क जे 23 प्रत्यक क जे क जे. क 33 33 जे जे, क जे जे, क जे जे, क जे जे जे. ब. मु क जे ९६ ९६ ९८ ९.८ सु ९९ उद्धरिहीइ १०० १०१ १०१ १०१ १०१ १०२ १११ ११४ ११४ ११५ ११५ पार्विति तुम्भे वि मादीया ११६ ११८ ११९ १०५ जलद्दिसमुत्तिण्णा जे क १०५ अणंतसिद्धा, साहू धम्मो उ मंगल | १०६ १०८ सिद्धसिला १०९ सुग्गीवादी पडिमाओ ११० १२० १२१ १२१ मा एत्थ कुणह वक्खेवं,, आमन्ति वानरेंद अरहधरे वा वाणरेंदमादीया सयप १२२ १२२ १२३ सिद्धिं च जे मु 'पुरि विरहे तणुयंगी विरहतावियंगी वयोषिद्धा "हो होइ ११९ ११९ ११९ अप्पिही सामी निययं तस्स उ वयणाण 'ण नामिओ स अपिहि सामन्तं देसकाले कया विलं पि ह खे पि हु खे पसादेर जे १२५ नयमइणा १२५ किं पिग १२५ कि पि मणन्तेण इप For Private & Personal Use Only जे जे, क जे क जे जे क जे 33 जे 33 क जे क, मु जे क जे क जे क जे, क उद्देश ४९ १ सभ २ नन्दणी ३ सिरिपणाम ३ दंडारना ३ डंडारण्णंतियं ४ * ७ १० १२ १३ १४ ९ पत्रणसुओ ९ पुच्छई १५] १६ नाम पव्वं संमत्त १९ २० २१ २१ २१ १६ ओ दूओ १७ १८ जे तो ल० क गओ महं अपुण्णाओ क चिमुकाप दरिसर्ग देहि अह भइ तत्थ दू सरेण व सणसमग्गं कमलामा हयगयतुश्यस किंकिधि राि पीतम्बर "अंगसंग मादीया वेढेंता सुयं अम्हि माहपं य अकज्जो इहं जे २३ २६ २७ पसाहेमो २९ नयरं क प्रत्य, क जे, क जे ३१ भणिज ३१ वुई २१ परेजस ३२ विसमागम क जे क सो तह य कहे जे इज्जत क जे, क "" जे जे जे, क जे 33 www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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