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________________ ९२ ६० दसंगनयरं ६१ वज्जकण्णस्स ६१ वेतल्या ६१ वजकण्णं ६२ कहेहि ६४ बजष्णो ६४ नरेंदम एक ७२. रायगिहं प २ लभति ७३ कत्तो श्चिय वाउल मणस्स ७६ वो, बट्टेइ सभाए मज्झयारंमि । दुग्गविसमपाया वजकण्णं वज्जकण्ण नेय ते रज्जं वज्जकण्णो ७७ *. ८० .. ૧ ८१ सर्वपि गे ८४ एयं ते ८५ दतयम्मि वि ༤༢ འཎྜཝཾ ཕུ अदुरन्तो 6 भूमी पयच्छामि ८८ ८९ चन्द्रपभस्स ९१ वज्रकण्णो पाणमादीयं सव्वेहि वि गुणपुन वज्रकण्णेणं ९३ ९४ ९५ ९७ १०० ९९ तुम्ह पा १०१ सीहोरो १०१ जद वि १०१ पसिजन्ति १०२ वजऋण्णो १०४ भणेइ १०४ १०५ संधिव Jain Education International जे क "नयं रुडो सीहोयरो भइ एवं । जे, क जे जे जे जे · " " क जे, क जे " जे, क जे 23 क 21 13 जे १०६ संभिया १०७ *सभी ओकडे १०७ मतीया तं वेडिं पव्वओ १०८ १०८ १०८ जुन समयं रि १०८ १०९ एि १०९ जंघा निलेण वजह अवरोह ११० १११ एवं सा ११३ ११२ ११४ आमिदो स्थमच्छरुच्छा ११४ चक्के व ११४ सेनं ११५ ि ११५ रिबुवलं ११८ 'वेविरंग ११८ रहाटो ११८ ड धीरो ११९ संनिगार्स १२० १२१ जुजड़ समयं रिबु जे क जे, क जे १२२ १२२ बजकण्णरिय १२३ पउमनाभं अमरणीण ओलंबेमि रुवन्तीण १२४ १२६ "सिणेहा १२९ 'वातेणं १३१ १३२ वज्जकण्णेणं १३० 'वरेंद १३. तिलोगपरि सबुरिस कणो जं तुम संपाउ "नयस्य " १३५मोद जे, क १३६ क "ल रद्दवराण १३२ १२२ १३५ ७. पाठान्तराणि ० जे 79 जे क जे क जे जे जे. क ने जे, ज जे, क जे जे जे, क 33 " क १३६ १३७ जे जे १३५ १३७ १२९ परमावीडि १३९ १३९ १४० "{ १४२ १४२ १४७ १४७ १४८ ७ जे १५ १६ ७ ८ वज्जकण्ण हस गणियं च ! ११ १३ तच्च ग 'लं दिष्णं 'वेहि दिण्णाण थणसोणिसालिणीणं सयाण तिष्णेत्र दिन्नाणि क 'लासंगमेण जे जाव न य भु 'णं करेसु कल्लाणं "णं करेसु कण्णाणं वज्जसवणेण वज्जकण्णेण मन्दमन्द इति प° नाम उ सम्मत्तो उद्देश - ३४ क ओइंचइ जोयणला १८ बालिखलो १८ पुरसामी १९. मिच्छाि जे, क जे जे जे, क "तालियरी जे परिचिन्तिऊण जे, क योगो मद जे पविससु नयराहि भोयणादीयं For Private & Personal Use Only 31 जे जे क जाव य न तस्स मु जाव न तस्स उ वतं, जे तस्स उदयं, ष ? नस्स अंतं (अन्नं ?) ई इह चेव य भो° क "ई. उवसाहियभो जे " " 33 २० बालखीलं २० पुत्तो उ सो २१ 'तो अहं तु जा जे,क २२ "मालिको 23 37 37 २३ २६ २८ ३० ३० ३. ३३ २६ ३७ ३७ ३८ ४२ ४२ ४४ ४४ ४४ ४५ ४६ ५० ५० ५.१ ५२ ☞ ☞ ☞ ५३ ५४ ५५ ५६ ५६ ५७ तुमं सम मुयेन्ती जणय अविमो पभाष कूबइ कलुण म सोनावण १ कच्छम ३ ३ निवेदे अन्नो वि खी भगइ व महा क्षेत्रन्तर "से य घण घणवन्दं सयपडन्त ५३ लभसु झपडत मेच्छा बेसानरो निरूत्रिओं 'मेण य दो भ वालिखील तो वाहिखीलं पलादेणं रचि बालखीलो ५.७ मनागरा ५९ वालिखलो इति " बंधु जणुं "म्बि या पयओ ॥ सिणेह वालिखीलक्खाणं नाम उ उद्देश-३५ नदी "मं च सीया मनिसा स महं अईचार जे. क जे क जे, क जे "3 221615 जे 37 www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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