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________________ ७. पाठान्तराणि 444444404 १३८ पुरे य नराहिव मु,जे पुरे नयराहिव क १३८ मुणिवरो विचित्तस्स जे १३८ देवलोगं जे,क १३९ णाओ ईसावइ सामि जे पत्तो अरमल्लिजिणंतरे एसो ॥ जे m 8498 3.4444 : 40 ३५ पणासेउ ७. कोडी हवेति च क,ख १०५ सुणउ पणासंतु दुस्समाए १०६ उसमेण मुं ३६ नग्गोहद्दुमो , ७५ मउई १०६ 'हो म्व प भग्गोह उवहिसतेण १०६ पुण्डारगि ३. तेन्दुग पयाई अ पुण्डरिगि तंदुग स्स होइ उगा को क ख १०८ लभिऊण ३८ वासपुजो ऊणा को जसमईए ३९ कम्पिल्लं कयवम्मा र जा ण वीसतिन क ख पुण्डरिगि पुण्डरिगि सामा ८. ' इगुणवीस य विणीयाए क,ख ३९ सम्मो वि ८१ वीसतिम भा वणीए ४. साएयाए सिव 'द जे ८२ जा उ सया 'ण तवं मधवो ४१ पते ८४ परिनेम्वु सगंकुमारमि उपना जे ४३ कत्तियाक ८४ विजिएकाले तिरूवो कख ४३ पणासेस ८४ हरविमु ११४ पुण्णाणुभावजीएणं क, ४३ पणासेतु ८५ यमतीया ११७ विआगे ४४ च खेती तु गोदण्ड ११७ विणयमई महिला रिसेसू ११८ हेमबाहू ८, अतिविद्धि ११८ परीवसई ४५ दो रिक्वं चिय अंजे ८८ आइपमा ११९ जिणायतणे ४५ नासेतु ते विप्पं ॥ क,ख ८९ जाय य ते ११९ ईसन्ति ४७ मगहाहि वरिसाए १२१ तत्तावि चुयस ४८ पुरंमि एत्तो १२२ सुष्पभK ४८ लं होउ क,स __ आइपभा १२२ वयसमोई ५० लो जणणी यतिसिल ९२ वा न भि १२२ सङ्काएदोस ९३ आउं बल उ दिन्नु कख १२३ भावियमती ९५ धणुवीसा नाएंदसं १२४ सहदेवनरा ९५ परिहाय किसुयसव १२४ नगरे ९५ नव अट्ट सत्त सड्ढा १२५ सोधम्माहि क,ख ५८ पते ५९ पते जिणवरचंदा छच्छञ्च धणू अद्धछट्ठा १२५ दम्मि ६. संपत्ता सा य । पचसया पणुवीमा १२६ र ति रूवं जे,क,ख उस्सेहो जे १२७ तो भणह ६२ भयवं २६ हो होई जिण जे,क,ख १२८ हो कयपडिकम्मो जे ६५ अवगाढं ९. असीय स क,ख १२८ कयबलिकम्मो ६५ तु पल्लस्स ९७ या य सत्तरी सही जे १२८ कयडिकम्मो क,ख ६. हीणावस शीर्षक चायूषि १२९ पत्तो भणन्ति ६८ ओसप्पि १.१ रीए अजिओं क,ख १३० णाण रूब ले ६८ प्पिणीए वि क १.१ छण्ण पु जे १३३ पोडरिगिणीए सारसो 1.३ पते १३३ सीसत्ते ६८ “सभाएण __ १०४ पुण तीमा इतः पश्चात् छम्मेदा , शीर्षकः तत्पूर्वभवादि च ख प्रतो पाष्ट ६. अ. कडीए है , १.५ समक्वाए पत्राणि नोपलभन्ते 440444444440:: :::4 8442424 वीइसोग सप्पभगुरुं चविऊग मयूराए १८४ वसहि १४६ 'गे य खे १४, देवि रज १४८ रं, सुपयनमियतरे धीरी १५५ पुब्ब ति १५६ वरवसभी १५. मणाभिराम १६. पते भ' १६. दावे न्ति १६२ दुम्मस्स १६३ दुम्मस्म १६४ दुक्वं १६६ ख छ्यासु १६७ देवमादीया। १७. रवि य पोय १७. इमाणि नामाणि जे, १७१ मा परिस्सभूई १७२ मा अह हो :::: : 4: 48 44 १७२ पते १७३ जुयन्त १७३ “रण्णहरणं १७५ वद्धणकरं १७६ तह यह १७. रा पते १७९ महासुक १७९ एतमु जे,क G Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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