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________________ ८५ ७. पाठान्तराणि 44वा 444444448 :4AAAA : : : : : ३ जलोसित्त जे ३ हरिणी वि वा हरिणी य वा का 'तणुयासव्वनी ८ ला किर क,ख ८ ला पहु हुति म जे महेन्दतणया क,ख °स्स पवेसिओ क,ख १६ दिव्वत्थेहि पि विणा मए अवस्सं जिणेयम्वो। जे बत्तीसई सहस्साई , सत्यभिज्जन्त पवगयतुर २१ हा अवरे जु २३ पेक्खिऊण २४ वरुणसुतेहि २५ गहियं म ३० ताय वी मिययलीलाए ३३ मत्तवणगए ३५ याभरणभू " ३८ महेन्दतणया ३८ नरेन्दम ४२ परिजणी ४३ त मस्थि मज्झ सं ४३ सरेजासि ४४ अर्वादुओ ,क,ख ४५ °सणादीओ जे गुमेन्तभमरं जे,क १७ सहस्सपत्तेहि क दीह रंज .९ मउलिंति ५० हंसादीया ५३ विहरेइ ५० ५५ जे मए ५५ अलजण सुदीणविमणा ५७ ताकि क,ख ६. हि सरिस ६०, अकालहीणं तु ६. मि ६ अंजणं क,ख . पग्गीवए क,ख ६. अन्भिन्तरो जे ६५ आगओ इहई क,ख "ज्य पिययमो इह - समागओ ख ज्य पियय सो इह समागओ क ६७ सिमिणसरिसं जे, क,ख ६८ सव्वलोगेगं जे,क,ख ख ७४ सामिणी अ° तुहं नधि वहेजासि जे सिहं सणेह रइपत्था(होरणगु ८. दोण्ड वि क.स सुहायासलद्ध ८२ सबुरिस "रं च गच्छामो क, ८३ अवगहिऊण जे,क, ८५ °ण पुण! निजे ८५ करेउ "महुरालावा तुमं प° गुरुयण ग° गिण्हसु 'मालं च गयण क,ख नियनिवेसम्भवणं जे ह सदा इति प ज ,क. पवणजणा मुन्दरिभिहाणो जे क,ख नाम उ सम्मत्तो : ३ पावा ४५ कम्मरस अवदाण ५ तओ केउमई ७ तत्थ केउमई ४६ वा इमो अपुण्णो आणवेइ कम्मकर १७ अमियमई नेहि इ अमयमती ७ पियघरं तओ गु - ७ पीइहरं महिड्ढीओ १० पडिदेविऊण ६१ मङ्गलसतेहि जे,क,ख ११ भणति ११ भणतिय कख ६१ अच्चेइ य पययमणा. जे ११ पुहइतले ६. सुणेहि ११ पाडिओ ६७ 'सहस्साई पावतो , १३ तेणावि निकख ६७ स्साई पावितो क,ख १४ विलवियम्मि र ६९ गिधम्म जे,क,ख १५ 'पल्लवो विहाणे कख ६९ कालगया तत्थ सं सहियाए सम कु जे,क,ख १७ परिपुच्छि क,ख ७१ भवसागरे १७ वसन्तसेणाए तुज्झ क,ख १७ 'जयमादीयं निस्संदेहो १८ त चिय वयणनिहस्सं , उप्पयइ ___ क ख १९ दारवालिएणं जे,क,ख भोयणादीयं १९ समववाय "विहलवुण्णव जे, २१. मरुच्छाहो ८१ सिहेण ख मुहुच्छाहो ८२ सरभरुवं २१ होइ स जे ,मु,ख ८२ गुहाओ के उमई ८४ गायसु सामिय जे,क, कित्तिमई ८६ गयभयाओ लोयकम्म ८७ अञ्चन्ति २३ पुव्वं पि ८८ णुज्जुयम जे वालिएणं "वो चिय वि पवण्णा ८८ पयत्तेहि क,ख "वि पन्ना क,ख ९१ रुवइ २९ पायवेसु सं ९१ मि सुहं महया अ ९२ पिऊ ते ३१ हेउवेरि पिओ ते ३३ मायाए पि ९३ पसादेण ३३ निययाउ गेहाओ क ख __ ९५ एवं ताण जे,क,ख ३८ समावणे क,ख ९५ नहङ्गणाओ जे,ख ३८ वच्चामि क,ख ९७ सुवुरिस जे,क,ख ३९ मा विपत्ती १०२ एवं चिय ४१ मुणिवसभं १०२ पिओ कु ४४ वायरयदोसा १०३ अहतं, सु : 19444 जे,क भ 14A : उद्देश-१७ १ गम्भस्सहुयपयासपया । जे २ भारकन्ना २ गती य जे,क,ख ३ जायगभ पाया ख 4 क,ख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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