________________
२०. तित्थयर चक्कबट्टी- वलदेवाइवाइद्वाणकित्तणं
॥
॥
॥
कोसम्बीय सीमा, पिय चित्ता य पत्थिवो य धरो । पउमप्पभो जिणिन्दो, हवउ सया मङ्गलं तुज्झ६ ॥ सुपट्टो कासिपुरं, पुहइ बिसाहा सिरीसरुक्खो य । तित्थंकरो सुपासो, एसो ते मङ्गलं परमं७ ॥ चन्द्राभो चन्द्रपुरी, महसेणो लक्खणा य अणुराहा । नागद्दुमो य परमं मङ्गलमउलं तिहुयणन्मि८ ॥ कायन्दी मुग्गीवो, रामा मूलं च पुष्पदन्तजिणो । मल्लीदुमो य तुज्झं, सेणिय ! पावं पणासेन्तु९ ॥ भद्दिलपुरं सुनन्दा, पुबासादा य दढरहो राया । तुह सीयलो जिणिन्दो, निग्गोहदुमो य पावहरो १० सहपुरं विण्डुसिरी, समणो विण्ह् य नरवई होइ । सेयंसो तित्थयरो, तिन्दुगरुक्खो सुहं दिसउ ११ चम्पा पाडलरुखो, जया य वसुपुज्जपत्थियो होइ । भयवं तु वासुपुज्जो, नक्खत्तं सयभिसा पुणउ १२ कपिला कधम्मो, सम्मा विमलो य जम्बुरुक्खो य । उत्तरभदवया वि य, सेयं कुबन्तु ते निययं १३ औसत्यो सब जसा, नक्खत्तं रेवई अणन्तजिणो । राया य सीइसेणो, साएया ते सुहं दिसउ१४ रयणपुरं दविण्गो, भाणू धम्मो य सुवया जणणी । पुस्सो य हवइ रिक्खं, एए तुह मङ्गलं देन्तु १५ अइराणी नागपुरं, भरणी रिक्खं च नन्दिम्खो य । राया य विस्ससेणो, सन्तिनिणो कुणउ तुह सन्ति १६ नागपुरं तिलयसिरी, कुन्थुजिणो कित्तिया य नक्खत्तं । सूरनराहिवसहियाणि तुज्झ पावं पणासन्तु १७ ॥ मित्ता सुदरिणो विय, पढमपुरी अरजिणो य चूयदुमो । रिक्खं च रोहिणी तुह, कुणउ सया मङ्गलविहाणं १८ मिहिला कुम्भनरिन्दो य, रिक्खया अस्तिणी जिणो मल्ली | नाणदुमो य असोगो, सोगं नासन्तु वो सिग्धं १९ पउमावई कुसग्गं, समणो विहु चम्पओ सुमित्तो य । मुणिसुबओ निणिन्दो, तुह पवमलं पणासेउ२०
॥
॥
॥
॥ ४४ ॥
॥
२०.४६ ]
१. पुनातु । २. अश्वत्थः । ३. खिप प्रत्य० ।
२४
Jain Education International
॥
For Private & Personal Use Only
३२ ॥
३३ ॥
३४ ॥
३५ ॥
३६ ॥
३७ ॥
३८ ॥
३९ ॥
४० ॥
४१ ॥
४२ ॥
४३ ॥
सुमंगला माता, प्रियंगु वृक्ष, साकेत नगरी, मघा नक्षत्र और सुमतिस्वामी तुम्हारा अनुपम कल्याण करें । ६. कौसाम्बी नगरी, सुलोमा माता, प्रियंगु वृक्ष, चित्रा नक्षत्र, घर राजा और पद्मप्रभ जिनेन्द्र तुम्हारे लिए सदा मंगलकारी हों । ७. सुप्रतिष्ठ पिता, काशीनगरी, पृथ्वी माता, विशाखा नक्षत्र, शिरीष वृक्ष और सुपार्श्व तीर्थकर ये तुम्हारे लिए परम मंगल रूप हीं । ८. चन्द्रप्रभ जिन, चन्द्रपुरी, महासेन पिता और लक्षणा माता, अनुराधा नक्षत्र और नागवृक्ष-ये तुम्हें तीनों लोकांमें अतुलनीय मंगल प्रदान करें । ९. हे श्रेणिक ! काकन्दी नगरी, सुग्रोव पिता, रामा माता, मूलनक्षत्र, पुष्पदन्त जिन और मल्लोवृक्ष तुम्हारे पापका नाश करें । १०. भद्दिलपुर, सुनन्दा माता, दृढ़रथ राजा, पूर्वाषाढा नक्षत्र, शीतल जिनेन्द्र और योधवृक्ष ये तुम्हारे लिए पाप नाशक हों । ११. सिंहपुर, विष्णुश्री माता और विष्णु राजा, श्रवण नक्षत्र, श्रेयासनाथ तीर्थकर तथा तिन्दुक वृक्ष तुम्हें सुख दें । १२. चम्पा नगरी, पाटल वृक्ष, जया माता, वसुपूज्य राजा, वासुपूज्य भगवान् और शतभिषज् नक्षत्र तुम्हें पवित्र करें । १३. कापिल्य नगरी, कृतधर्मा पिता, शर्मा माता, विमलनाथ जिनेन्द्र, जम्बूवृक्ष और उत्तरभद्रपदा नक्षत्र तुम्हारा अवश्य ही कल्याण करें । १४. अश्वत्थ वृक्ष, सर्वयशा माता, रेवती नक्षत्र, अनन्तनाथ जिनेश्वर सिंहसेन राजा और साकेत नगरी तुम्हें सुख दें । १५. रत्नपुर नगरी, दधिवर्ण वृक्ष, भानु पिता, धर्मनाथ जिनेन्द्र, सुत्रता माता और पुष्य नक्षत्र - ये तुम्हें मंगल प्रदान करें । १६. अचिरा माता, नागपुर नगरी, भरणी नक्षत्र, नन्दिवृक्ष, विश्वसेन राजा और शान्तिनाथ जिनेश्वर तुम्हें शान्ति प्रदान करें । १७. सूर्य राजाके साथ नागपुर नगर, तिलकश्री माता, कुन्थुनाथ जिनेश्वर और तत्तिका नक्षत्र तुम्हारे पापका नाश करें । १८. मित्रा माता और सुदर्शन पिता प्रथमपुरी ( साकेत नगरी ), अमरनाथ जिनेश्वर, आम्रवृक्ष और रोहिणी नक्षत्र सदा तुम्हारा मंगलविधान करें । १९. मिथिला नगरी, कुम्भ राजा, रक्षिता माता, अश्विनी नक्षत्र, मल्लिनाथ जिन और जिसके नीचे ज्ञान हुआ था वह अशोक वृक्ष शीघ्र ही तुम्हारा शोक नष्ट करे । २० पद्मावती माता, कुशाग्रनगर, श्रवण नक्षत्र, चम्पक वृक्ष, सुमित्र पिता और
४५ ॥
॥४६॥
१८५
www.jainelibrary.org