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________________ घृणा : समग्र समाज में व्याप्त हिंसा का मूल २२७ करते चले आ रहे हैं। गंगाजल को सिर पर नहीं डालते, नाली का गन्दा जल ही उछाल रहे हैं। ___संसार में एक ओर सूर्यकान्ताएँ जन्म लेती हैं, तो दूसरी ओर सीता और सावित्री भी तो जन्म लेती हैं। क्या हम सीता-सावित्री की उज्ज्वल परम्परा को भुला कर सूर्यकान्ता का ही ढिंढोरा पीटते रहें कि--संसार के पतियो, सावधान रहना। कहीं ये पत्नियाँ सूर्यकान्ता की तरह तुम्हें जहर न पिला दें, गला न घोंट दें ! क्या यही जहर सुरक्षित है हमारे पास जनमानस में फैलाने के लिए ? अमृत की एक बूंद भी नहीं, जिससे किसी का कुछ भला हो सके । संसार को इसी प्रकार घणा और द्वेष की दहकती ज्वालाओं में जलाते रहने का ही उपदेश है हमारे पास ? मैं कहता हूँ, जीवन में यह घृणा का जहर जब तक रहेगा, तब तक भाई-भाई, पिता-पुत्र, पति-पत्नी कोई भी सुख और स्नेहपूर्वक नहीं रह सकेंगे। सब एक-दूसरे को घृणा और विद्वष की दृष्टि से देखेंगे, और देखेंगे परस्पर जानलेवा दुश्मन की निगाह से । धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर हिंसा ये दूर की बातें जाने दीजिए । गाँधीजी कैसे मारे गए ? पिस्तौल की गोली से ? नहीं-नहीं, गाँधीजी के प्रति गोडसे के मन में जो नफरत का भूत सवार था, उसी ने वहाँ गोलियाँ गाँधीजी को मारी ! गाँधीजी का हत्यारा गोडसे नहीं, बल्कि वही घृणा और विद्वेष थी, जो हिन्दुस्तान की नसों में युगों-युगों से भरी गई हैं। जिसका जहर कभी भी मनुष्य को उन्मत्त और पागल बना डालता है । हिन्दुस्तान के दो टुकड़े किसने करवाए ? जिन्ना ने या अंग्रेजों ने ? न जिन्ना ने और न अंग्रेजों ने। हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच छाई हुई जातीय घृणा और विद्वेष ने ही भारत के दो टुकड़े कर डाले । हिन्दुस्तान-पाकिस्तान का बँटवारा धर्म के आधार पर नहीं, अपितु धर्म के चोले में छिपी हुई घणा और विद्वेष के आधार पर हुआ है। इसीलिये अलग हो कर भी आज तक ये शान्ति से रह नहीं सके हैं। बँटवारे के समय क्या-क्या अत्याचार हुए हैं, कैसेकैसे हत्याकांड हुए हैं- आप से छिपे नहीं हैं ? हजारों-लाखों नौनिहाल बच्चे, जो अभी न हिन्दू बने थे, न मुसलमान, अभी तो वे अबोध जीवन की यात्रा प्रारम्भ ही कर रहे थे कि उनके इसलिए टुकड़े-टुकड़े कर डाले कि वे हिन्दू और मुसलमान के घर में पैदा हो गए ये । हजारों अबलाओं को जीते जी अग्नि में होम दिया गया, सिर्फ इसलिए कि वे हिन्दुओं की पुत्रियाँ थीं, या पत्नियाँ थीं। क्या यह सब जिन्ना और अंग्रेजों ने सिखाया था ? यह उसी घृणा-राक्षसी का नग्न-नृत्य था, उसी विद्वेष के विषैले परिणाम थे, जो धर्म के पवित्र नाम पर वर्षों से जनजीवन में फैल रही थी। सभी हिंसाओं के मूल : घृणा और विद्वेष ____ आज भी जो कभी धर्म के नाम पर, मन्दिरों तथा गुरुद्वारों के नाम पर, प्रान्तों तथा जातियों के नाम पर गालियाँ चल रही हैं, छुरे चल रहे हैं, तोड़फोड़ हो रही है, आग लगाई जा रही है, यह सब क्या है ? घृणा और विद्वेष की आग फैलाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001265
Book TitleAhimsa Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size22 MB
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