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प्राणों की आहुति दे कर भी,
हानि देख कर पर की सज्जन,
अपने
दुखियों का दुःख दूर करे ।
औरों को हँसते देखो मनु, हँसो और
को विस्तृत कर दो,
सब
को
सुख
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अपने मन में झूर मरे ॥
- उपाध्याय अमरमुनि
सुख पाओ ।
सुखी बनाओ ॥
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-प्रसाद
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