SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्र.- द्रव्य व्युत्सर्ग क्या है? उसके कितने भेद हैं? उ.- द्रव्य व्युत्सर्ग के चार भेद कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं 1. गण-व्युत्सर्ग-गण एवं गण के ममत्व का त्याग । 2. शरीर-व्युत्सर्ग-देह तथा दैहिक सम्बन्धों की ममता या आसक्ति का त्याग। ___3. उपधि-व्युत्सर्ग-उपधि का त्याग करना एवं साधन-सामग्रीगत ममता का, साधन-सामग्री को मोहक तथा आकर्षक बनाने हेतु प्रयुक्त होने वाले साधनों का त्याग। 4. भक्त-पान-व्युत्सर्ग-आहार-पानी का तथा तद्गत आसक्ति या लोलुपता आदि का त्याग। यह द्रव्य व्युत्सर्ग का विवेचन है। प्र.- से किं तं भावविओसग्गे? उ.- भावविओसग्गे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा 1. कसायविओसग्गे, 2. संसारविओसग्गे, 3. कम्मविओसग्गे। प्र.- भाव व्युत्सर्ग क्या है? उसके कितने भेद हैं? उ.- भाव व्युत्सर्ग के तीन भेद हैं, यथा___ 1. कषाय-व्युत्सर्ग, 2. संसार-व्युत्सर्ग, 3. कर्म-व्युत्सर्ग। प्र.- से किं तं कसायविओसग्गे? उ.- कसायविओसग्गे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा 1. कोहविओसग्गे, 2. माणविओसग्गे, 3. मायाविओसग्गे, 4. लोहविओसग्गे। प्र.- कषाय-व्युत्सर्ग क्या है? उसके कितने भेद हैं ? कायोत्सर्ग-सूत्र 119 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001217
Book TitleKayotsarga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy