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જૈનદર્શનનાં વૈજ્ઞાનિક રહસ્યો 26. 'मंत्रविद्या' ले. करणीदान सेठिया, 'यंत्रविद्या' खण्ड. पृ. 28, 29, 20
मंत्र-तंत्र-यंत्र महासभुश्यय प्र. नन पुस्तकालय सुरत, ५-320, 321, 322 27. 'मंत्रविद्या' 'यन्त्रविद्या' खण्ड पृ. 31 28. 'Yantra' by Madhu Khanna, P. 48 29. 'सूरिमन्त्र कल्पसमुच्चय' भाग-2 पृ. 360, 361. (सं. पू. मुनिश्री जम्बुविजयजी) 30. "करामलकवद्विश्वं कलयन् केवलश्रिया" (श्री सकलार्हत् स्तोत्र, श्लोक-2 कलिकाल सर्वज्ञ __ श्री हेमचंद्राचार्यजी) 31. 'यंत्रराजः श्रीयंत्र' ले. पंकज दीक्षित, 'स्वागत' सितम्बर 1995, पृ. 5 32. 'Yantra' by Madhu Khanna P. 72 & 74. 33. 'यंत्रराजः श्रीयंत्र' ले. पंकज दीक्षित, 'स्वागत', सितम्बर, 1995, पृ. 525 34. 'यंत्रराजः श्रीयंत्र' ले. पंकज दीक्षित, 'स्वागत', सितम्बर, 1995, पृ. 53 35. इह नाणदंसणावरण-वेयमोहाउनामगोयाणि । विग्धं च.... ॥ 38 ॥ (नवतत्त्व, गाथा-38) 36. यतः प्रज्ञापनायां दश संज्ञाः, ताश्चेमाः “कइणं भंते ! सण्णाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! दस
सण्णाओ पण्णत्ताओ तं जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोहसण्णा, ओहसण्णा, लोगसण्णा ।" (आचारांग टीका, प्रथम
श्रुतस्कंध, प्रथम उद्देशक) 37. दसहा जियाण पाणा इंदिय उसासआउ बलरूवा ॥ (जीव विचार प्रकरण, गाथा - 42) 38. एगिंदिय सुहमियरा सन्नियर पणिंदिया य सबितिचउ ।
अपजत्ता पज्जता कमेण चउदस जियट्ठाणा ॥ 4 ॥ (नवतत्त्व गांथा-4) 1. सूक्ष्म अपाता न्द्रिय
2. સૂક્ષ્મ પર્યાપ્તા એકેન્દ્રિય 3. पा६२ अपर्याप्त डेन्द्रिय 4. पा६२ पर्याप्त मेन्द्रिय 5. अपर्याप्त पेन्द्रिय
6. पर्याप्त बेन्द्रिय 7. અપર્યાપ્તા તેઈન્દ્રિય
8. पर्याप्त तेन्द्रिय 9. अपर्याप्त रिन्द्रिय
10. पर्याप्ता 4GRन्द्रिय 11. Hशी अपर्याप्त पंथेन्द्रिय 12. संशी पर्याप्त पंथेन्द्रिय 13. संक्षी अपर्याप्त पंथेन्द्रिय 14. संशी पर्याप्त पंथेन्द्रिय. એ ચૌદ જીવસ્થાનકો અર્થાત્ જીવોના પ્રકાર છે.
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