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७८७] तइया चूला, पण्णरसमं अज्झयणं भावणा। २८७ इत्तए सिया। केवली बूया-निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेदा संतिविभंगा संतिकेवलिपण्णत्तातो धम्मातो भंसेज्जा। *णो निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेइ[त्तए] सिय त्ति * पढमा भावणा।
[२] अहावरा दोचा भावणा - णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई ऑलोइत्तए णिज्झाँइत्तए 'सिया। केवली बूया-निग्गंथे णं [इत्थीणं] मणो- ५ हराई २" इंदियाइं आलोएमाणे णिज्झाएमाणे संतिभेदा संतिविभंगा जाव धम्मातो भंसेज्जा, णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाइं आलोइत्तए णिज्झाइत्तए सिय ति दोचा भावणा।
[३] अहावरा तचा भावणा-णो णिग्गंथे' इत्थीणं पुन्वरयाई पुवकीलियाई सुमरित्तए सिया। केवली बूया-निग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुव- १० कीलियाई सरमाणे संतिभेदा जाव विभंगा जाँव भंसेजा। णो णिग्गंथे" इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सिय ति तचा भावणा । इति स्थानाङ्गसूत्रे नवमस्थाने। “नव बंभचेरगुत्तीओ पन्नत्ताओ, तंजहा- नो इत्थीपसुपंडगसंसत्ताणि सिजासणाणि सेवत्ता भवइ, नो इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ, नो पणीयरसभोई, नो पाणभोयणस्स अइमायाए आहारइत्ता, नो इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई समरइत्ता भवइ, नो सहाणुवाई नो रूवाणुवाई नो गंधाणुवाई नो रसाणुवाई नो फासाणुवाई नो सिलोगाणुवाई, नो सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवइ" इति समवायाङ्गे। “दस बंभचेरसमाहिहाणा पन्नत्ता...' विवित्ताई सयणासणाई सेविज्जा से निग्गंथे, नो इत्थि-पसु-पंडगसंसत्ताई सयणासणाइं सेवित्ता भवति ...."१, नो इत्थीणं कहं कहेता भवति से निग्गंथे..."२, नो इत्थीहिं सद्धिं सन्निसेज्जागए विहरेत्ता हवइ से निग्गंथे .....३, नो इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाइं आलोइत्ता निज्झाइत्ता भवति से निग्गंथे...."४, नो इत्थीणं कुटुंतरंसि वा दूसंतरंसि वा भित्तिअंतरंसि वा कूइयसई वा"..."सुणेत्ता भवइ से निग्गंथे.....५, नो निग्गंथे पुव्वरयं पुन्वकीलियं अणुसरित्ता भवइ ....६, नो पणीयं आहारं आहारित्ता भवइ से निग्गंथे......७, नो अइमायाए पाणभोयणं आहारित्ता भवइ से निग्गंथे..."८, नो विभूसाणुवाई भवइ से निग्गंथे..."९, नो सद्द-रूवरस-गंध-फासाणुवाई भवति से निग्गंथे १०॥” इति उत्तराध्ययनसूत्रे षोडशेऽध्ययने॥ १. [ममिक्खणं हे ३] इत्थीणं कहं कहमाणे हे १, २, ३ इ० ला० ॥ २. केवलीप इ० हे ३ खेस० विना॥ ३. जा पढमा भावणा हे १, २॥ ४. णो णिग्गंथे णं म° सं०। ** एतत्स्थाने वम्हा णो निग्गंथे इत्थीणं कहं कहेजा इ० ॥ ५. कहे सिय खं० । कहेइ सिय तिबेमि पढमा खे० जै०॥ ६. °हराइं २ आलो खं०॥ ७. आलोएत्तए खे० ० हे १, २, ३॥ ८. जमाएत्तए खे० हे ३॥ ९. सियत्ति इ०॥ १०, १२. '२' नास्ति खेल ख. विना॥११. मालोय(ए सं.)माणे णिज्मायमाणे खे० जै० सं०॥ १२. भालोपत्तए ख. विना। मालोएत्तए सिय त्ति सं०॥ १३. °थे णं इ. हे १, २ इ० ॥ १५. जाप भासेजा खे० जैमू० खं०। जाव भाभंसेजा हे १, २, ३ ला० । जा भंसेज्जा इ०॥ १५. थे पुण्य हे, २, ३ इ० ला०॥
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