SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्टानि बाल-मूकादि-विज्ञान-सदृशम् मदन-कोद्रवाद्युपयोग-जनित-व्यामोह-मुग्ध-विलसितमिव मदिरा-रसाऽऽस्वाद-गद्गदोदितमिव ४. प्रमाणप्रमेयकलिकाऽन्तगत-विशिष्ट-शब्दाः अकलङ्कशासन ४०,४४ परमपुरुष ३९ लौकिक अद्वैत २५,३७,३९,४०, परमब्रह्म ३७,३९ विद्यानन्द परीक्षक २६ वेद अद्वैतमत ३९ परीक्षादक्ष १६ सत्ताद्वैत अद्वैतैकान्त २४ पुरुष ९,३८ सप्तभङ्ग जिन ४५ पुरुषाद्वैत ४०,४१ सप्तभङ्गी जिनेश्वर १ प्रकृति ८ सत्यवाक्याधिप १ जैनमत ३६ ब्रह्म ३७,३८,३९,४०, समन्तभद्राचार्य ताथागत ४१ सांख्य २२ द्वैत २५,३७,३९,४१ मनीषी १३,१६ सौगताभिमत २७ नैयायिक १८,३५ मीमांसक २२ स्याहादिन् ३१,३२,४१ परब्रह्म ३६,४० योग २२ क्षणिकैकान्त- ४५ ५. प्रमाणप्रमेयकलिका-गत-दार्शनिक-लाक्षणिक-शब्दाः ४० अनुवृत्त ४० अभावांश ३७ अचेतन ७,८,१६ अन्योन्याश्रय २९ अयुतसिद्ध ३४,३६ अतिप्रसंग ८,१४ अप् ३५ अयुतसिद्धत्व ३५ अतिव्याप्ति १६ अपहनुत २५ अभिलाप ४४ अनवस्था २९,३२ अप्रतिपत्ति ३२ अविद्या ४१ अनुमान २१,३०,४१ अभाव ३२ अविसंवाद २१,२२ अनैकान्तिक ३४ अभावप्रमाण ३८ अव्याप्ति अखण्ड Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001146
Book TitlePramanprameykalika
Original Sutra AuthorNarendrasen Maharaj
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy