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________________ [सू० १५८ ] कुलकर - तीर्थकर - चक्रवर्ति-वासुदेव- बलदेवादिनामानि । सेणिय सुपास उदए, पोट्टिल अणगारे तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा, णंद सुणंदे सतए य बोधव्वा ॥ १५३ ॥ देवई चेव सच्चति तह वासुदेवे बलदेवे । रोहिणि सुलसा चेव य तत्तो खलु रेवती चैव ॥ १५४ || ततो वति मिगाली बोधव्वे खलु तहा भयाली य । दीवाय य कहे तत्तो खलु नारए चेव ॥ १५५ ॥ अंमडे दारुमडे या सातीबुद्धे य होति बोधव्वे | उस्सप्पिणि आगमेसाए तित्थकराणं तु पुव्वभवा ॥१५६॥ एसि णं चउवीसं तित्थकराणं चउवीसं पितरो भविस्संति, चउवीसं मातरो भविस्संति, चउवीसं पढमसीसा भविस्संति, चउवीसं पढमसिस्सिणीतो 10 भविस्संति, चउवीसं पढमभिक्खादा भविस्संति, चउवीसं चेतियरुक्खा भविस्संति । जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उसप्पिणीए बारस चक्कवट्टी भविस्संति, तंजहा भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य । सिरिउत्ते सिरिभूती सिरिसोमे य सत्तमे ।। १५७॥ पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव । २९९ रिट्ठे बारसमे वुत्ते आगमेसा भरहाहिवा ।। १५८।। एतेसि णं बारसहं चक्कवट्टीणं बारस पितरो भविस्संति, बारस मातरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति । वेदवे भर वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए णव बलदेव - वासुदेवपितरो भविस्संति, णव वासुदेवमातरो भविस्संति, णव बलदेवमातरो भविस्संति णव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा - उत्तिमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी एवं सो चेव वण्णतो भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे राम केसवा भातरो भविस्संति, तंजहा Jain Education International For Private & Personal Use Only 5 15 20 25 www.jainelibrary.org
SR No.001143
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2005
Total Pages566
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, G000, G015, & agam_samvayang
File Size42 MB
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