________________
___तंदुलवैचारिकप्रकीर्णक
४५:
(११३) पुरुष के शरीर में पाँच कोष्ठक और स्त्री में छः कोष्ठक (होते हैं)।
पुरुष में नौ स्रोत (निस्सरण छिद्र) और स्त्री में ग्यारह स्रोत (होते हैं)। पुरुष के पाँच सौ पेशियाँ, स्त्री के तीस कम, (अर्थात् ४७०) नपुंसक के बीस कम (अर्थात् ४८० पेशियाँ होती हैं)।
शरीर की असुन्दरता] (११४) यदि (शरीर के) भीतरी मांस को परिवर्तित करके बाहर कर
दिया जाय तो उस अशुचि को देखकर स्वयं की माता भी घृणा
करने लगेगी। (११५) मनुष्य का शरीर मांस, शुक्र और हड्डी से अपवित्र है परन्तु यह
वस्त्र, गन्ध और माला द्वारा आच्छादित होने से शोभित होता है। (११६) यह शरीर खोपड़ी, चर्बी, मज्जा, मांस, अस्थि, मस्तुलिंग, रक्त,
वालुण्डक (शरीर के अन्दर का एक अंग) चर्मकोश, नासिका-मल और विष्ठा आदि का घर (है)। यह खोपड़ी, नेत्र, कर्ण, ओष्ठ, कपोल, तालु आदि के अमनोज्ञ मलों से युक्त हैं । होठों का घेरा अत्यन्त लार से चिकना, (मुख) पसीने से युक्त और दांत मल से मलिन, देखने में बीभत्स (घृणास्पद) है। हाथ, अंगुलियाँ, अंगुठा और नखों की संधियों से यह जुड़ा हुआ (है) । यह अनेक तरलखावों का घर है। यह शरीर कंधे की नसें, अनेक शिराओं एवं बहुत सी सन्धियों से बंधा हुआ है। (शरीर में),कपाल (फूटे हुए घड़े) के समान,प्रकट पेट सूखे वृक्ष के कोटर के समान व केशयुक्त अशोभनीय कुक्षि प्रदेश है, हड्डियों और शिराओं के समूह से युक्त इसमें सर्वत्र और सब ओर से रोमकूपों से स्वभाव से ही अपवित्र और घोर दुर्गन्ध युक्त पसीना निकलता रहता है । (इसमें) कलेजा, आँतड़ियां, पित्त, हृदय, फेफड़ा, प्लीहा, फुप्फुस, उदर, ये गुप्त मांसपिण्ड और (मलनावक) नौ छिद्र होते हैं। इसमें थिव-थिव की आवाज (के रूप में धड़कने वाला) हृदय (होता है)। यह दुर्गन्ध युक्त पित्त, कफ, मूत्र और औषधी का निवास स्थान (है) । गुह्य प्रदेश, घुटने, जंघा व पैरों के जोड़ से जुड़ा (यह शरीर) मांसगन्ध से युक्त
अपवित्र एवं नश्वर है। इस प्रकार विचार करते हुए एवं इसके १. एक आढक लगभग ३ किलो ५०० ग्राम का होता है। २. एक प्रस्थ लगभग ९०० ग्राम का होता है।। ३. एक कुडव भी लगभग ९०० ग्राम का होता है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org