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अन्य आगम ग्रन्थ [११] दोण्हं पि रत्तसुक्काणं तुल्लभावे णपुंसओ। इत्थी-ओय-समायोगे, बिबं तत्थ पजायति ॥
(स्थानांग सूत्र-४-४-६४२)
( संग्रहणी गाथा) [१२] वाससताउयस्स णं पुरिसस्स दस साओ पण्णत्ताओ, तंजहा
संग्रह श्लोक
बाला किड्डा य मंदा य बला पण्णा य हायणी । पवंचा पब्भारा य मुम्मुही सायणी तधा ॥
(स्थानांग सूत्र-१०-१०-१५४ ) [१३] जा यमित्तस्स जंतुस्स जा सा पढमिया दसा ।। ण तत्थ सुहदुक्खाइ बहु जाणंति बालया॥ ..
__(दशवकालिक हारिभद्रीअ वृत्ति
पत्र ८, ९) बियइं च दसं पत्तो णाणाकिड्डाहिं किड्डइ । न तत्थ कामभोगेहिं तिव्वा उप्पज्जई मई ॥
(ठाणं-नथ० पृ० १०१५ ) तइयं च दसं पत्तो पंच कामगुणे नरो। समत्थो भुंजिउ भोए जइ से अस्थि धरे धुवा ॥
(ठाणं-पृ० १०१५) [१६] , चउत्थी उ बला नाम जं नरो दसमस्सिओ। समत्थो बलं दरिसिऊं जइ होइ निरूवद्दवो ॥
(ठाणं-पृ० १०१५) [१७] पंचमि तु दसं पत्तो आणुपुव्वीइ जो नरो। इच्छियत्थं विचितेइ कुटुंबं वाऽभिकंखई ॥
(ठाणं-पृ० १०१५) छट्ठी उ हायणी नाम जं नरो दसमस्सिओ। विरजइ य कामेसु इदिएसु य हायई ।।
(ठाणं-पृ०-१०१५)
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