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दोवसागरपण्णत्तिपइण्णय एगा जोयणकोडी छन्वीसा दस य जोयणसहस्सा १२६१००००। गोतित्थेण विरहियं “सुरारसे सागरे" खेत्तं ।। २१ ।।
पंचेव य काडीओ दसूत्तरा दस य जोयणसहस्सा ५१०१०००० । गोतित्थेण विरहियं “खीरजले सागरे" खेत्तं ॥ २२॥
वीसं जोयणकोडी छायाला दस य जोयणसहस्सा २०४६१००००। गोतित्थेण विरहियं खेत्तं "घयसागरे" होइ ।। २३ ॥
एगासिइ कोडीणं नउया दस चेव जोयणसहस्सा ८१९०१०००० । गोतित्थेण विरहियं "खोयरसे सागरे" खेत्तं ।। २४ ॥
[ गा० २५ नंदीसरदीवो] तेवढे कोडिसयं चउरासीइं च सयसहस्साई १६३८४००००० ।
नंदीसरवरदीवे विक्खंभो चक्कवालेणं ॥ २५ ॥ [गा० २६-४७ अंजणगपव्वया तदुवरि जिणाययणाईच]
एगासि एगनउया पंचाणउइं भवे सहस्साई। तिण्णेव जोयणसए ८१९१९५३०० ओगाहित्ताण अंजणगा ॥ २६ ॥
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चुलसीइ सहस्साई ८४००० उव्विद्धा, ते गया सहस्समहे १०००। धरणियले वित्थिण्णा अणूणगे ते दस सहस्से १०००० ॥ २७ ॥
जत्थिच्छसि विक्खंभं अंजणगणगाओ 'ओयरित्ताणं । तं तिगुणियं तु काउं अट्ठावीसाए विभयाहि ॥ २८ ॥
नव चेव सहस्साइं पंचेव य होंति जोयणसयाइं ९५००। अंजणगपव्वयाणं मूलम्मि उ होइ विक्खंभो ॥ २९ ॥
तीसं चेव सहस्सा बायालीसं ३००४२ च जोयणा ऊणा । अंजणगपव्वयाणं मूलम्मि उ परिरओ होइ ॥ ३० ।।
१. ओवरित्ताणं प्र० । उवविरित्ताणं हं० । उवरिवत्ताणं मु० ॥
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