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द्वीपसागरप्रज्ञप्ति प्रकीर्णक (१०८) शक देवराज और उनकी तैंतीसों अग्रमहिषियों की प्रत्येक की
आठ-आठ राजधानियाँ हैं। (१०९) उत्तर दिशा की ओर ( जो) तैंतोस ईशान देवराज हैं उनकी जिस नाम वाली देवियाँ हैं उनकी उसी नाम वाली राजधानियाँ हैं ।
( ११०. कुण्डल समुद्र ) (११०) कुण्डल समुद्र में बावन ( अरब ) बयालीस ( करोड़ ) छियासी ( लाख ) दस हजार ( योजन ) क्षेत्र गोतीर्थ से रहित हैं ।
(१११. रुचक द्वीप) (१११) रुचक द्वीप का विस्तार दस हजार चार सौ पिच्चासी करोड़
_ छिहत्तर लाख ( योजन) है।
(११२-११६ रुचक पवंत) (११२) रुचक द्वीप के मध्य में रुचक नामक उत्तम पर्वत है। प्राकार के
समान ( यह पर्वत) रुचक द्वीप को विभाजित करता है । (११३) रुचक पर्वत की ऊँचाई चौरासी हजार ( योजन ) है तथा नीचे
भूमि तल में ( यह पर्वत ) एक हजार ( योजन ) समान रूप से
गहरा है। (११४) रुचक पर्वत का विस्तार अधो भाग में दस हजार बावीस योजन
से कुछ अधिक जानना चाहिए। (११५) रुचक पर्वत का विस्तार मध्य में सात हजार बावीस योजन हो
है, ऐसा जानना चाहिए। (११६) रुचक पर्वत का विस्तार शिखरतल पर चार हजार चौबीस योजन
है, ऐसा जानना चाहिए।
( ११७-१२६. रुचक पर्वत पर शिखर ) (११७) उस रुचक पर्वत के शिखर-तल पर चारों दिशाओं में शिखर हैं।
पूर्व आदि दिशाओं के अनुक्रम से मैं उनके नामों को कहता हूँ।
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