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________________ परमार अभिलेख १७. ३ कावडभट्टग्राम - विनिग (र्ग) तगौतम सगोत्र - तृ (त्रि) प्रवर वाजिमाध्यन्दिन - शाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण लोहिणा इ (ई) श्वरसूनवे अंशत्र १८. यं ३ चौरम्व (म्ब) भट्टग्रामविनिर्गत-सा (शां ) डिल्य सगोत्र-तृ (त्रि) प्रवरच्छंदोगशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण चंद्रादित्यपि (पी) तवामसूनवे अंशचतुष्टयं ४ १९. कुलांचाग्राम-विनिर्गत- सां (शां ) डिल्य - सगोत्र - तृ (त्रि ) प्रवरछं (च्छं ) दोगशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मणशाव (ब) राय रना (णा) दित्यसूनवे अंशद्वयं २ अशुरेस मंडलान्तःपा २०. ति अविवाग्राम - विनिर्गत-वत्स सगोत्र- पंचप्रवरछं (च्छं ) दोगशाखिने व्रा (ब्रा)ह्मण पंडिताग्निहोतृ (त्रि) लोहपाय वासुदेवसूनवे अंशचतुष्ट २१. यं ४ दक्षिणराढान्तः पाति- विल्वगवा (ग्रा) मविनिर्गत पारास (श) र सगोत्र - पंचप्रवर-छं (च्छं) - दोगशाखिने व्रा (ब्राह्मणदीनाकाय गो २८ २२. सरणसु (सू) नवे अंशपंच (पञ्चकं ) ५ खडुपल्लिकाग्रा [म] व [नि ]र्गत मौद्गल्यसगोत्रतृ (त्रि ) - प्रवरवाजिमाध्यंदिन- शाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण - अनन्तादित्या २३. य सुरादित्य-सु (सू) नवे अं (द्वितीय ताम्रपत्र ) २४. शद्वयं २ उत्तरकुल देशान्तः पाति-पौण्डरिक भट्टग्रामविनिर्गत-गार्ग्यसगोत्र- पंचप्रवरछं (च्छं)दोगशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण-वाम २५. नश्वा ( स्वा) मिने दीक्षितहरिसु (सू) नवे अंशत्रयं ३ उम्वराचर-विनिर्गत अगस्त्यसगोत्र-तृ (त्रि ) - प्रवर- वाजिमाध्यन्दिन - शाखिने व्रा (ब्रा) ह्म २६. ण आतुकाय रिसिउलसूनवे अंशमेकं १ मध्यदेशान्तः पाति- मैत्रेय सगोत्र-तृ (त्रि) प्रवर- वाजिमामाध्यन्दिनशाखिने व्रा (ब्राह्मण-पुरुषोत्तमाय २७. लीहासूनवे अंशचतुष्टयं ४ मधुपालिकाग्राम - विनिर्गत कास्य ( श्य) पसगोत्र - तृ ( त्रि) प्रवरछं (च्छ) दोगशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण-गोविन्दश्वा (स्वा) मिने देवश्वा (स्वा) मि २८. सूनवे अंशत्रयं ३ श्रवणमद्र - विनिर्गत वत्स सगोत्र - पञ्चप्रवर- व (ब) ह्वृचशाखिने ब्रा (ब्रा) ह्मणसिहटाय मित्रानंदसूनवे अंशचतुष्टयं ४ २९. शावथिकान्तःपाति-दर्दुरिका - ग्राम विनिर्गत- भार्गवसगोत्र-तृ (त्रि) प्रवरछ (च्छं) दोग-शाखिने ar (ब्राह्मणसं (शंकराय देवादित्यसूनवे अंशद्वयं ३०. २ सावथि [का]देशान्तः पाति-मितिलपाटक-विनिग (र्ग) त - पराशरसगोत्र (त्रि ) प्रवर- वाजि - माध्यंदिनशा खिने व्रा (ब्रा) ह्मण - मधुमथनाय अ ३१. चलसूनवे अंशद्वयं २ खेडापालिका - विनिर्गत मौनिसगोत्र-तृ (त्रि) प्रवर- वाजिमाध्यं दिन शाखिने व्रा (ब्रा)ह्मण-स्वयंतपाय श्रीनिवास ३२. सूनवे अंशत्रयं ३ खेटकविनिर्गत भारद्वाजसगोत्र - तृ (त्रि ) प्रवर व ( ब ) ह, वृचशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण नैकाय मधुसूनवे अंशचतुष्टयं ४ - ३३. नोहभट्टग्राम - विनिर्गत भार्गवसगोत्र - तृ (त्रि) प्रवर- वाजिमाध्यंदिनशाखिने व्रा (ब्रा) ह्मण-जामटाय विष्णुसूनवे अंशद्वयं २ तथा तस्यैव म्रा ३४. त्रे व्रा (ब्रा)ह्मण देदेकाय अंशद्वयं २ सोपुरविनिर्गत शांडिल्य - सगोत्र - तृ (त्रि) प्रवरकौथुमशाखिने व्रा (ब्राह्मण-आवस्थिक- स ( श ) र्व्वदेवाय लोहटसून Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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