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प्रधान संपादकीय
'परमार अभिलेख' नामक ग्रन्थ प्रकाशित करके ला. द. विद्यामंदिर को अत्यन्त हर्ष हो रहा है। इसमें डॉ. मित्तल ने कुल ८५ अभिलेखों का संकलन किया है। साथ ही प्रत्येक अभिलेख पर महत्त्वपूर्ण टीका तथा कष्टसाध्य हिन्दी अनुवाद दिया है । एपिग्राफिका इंडिका, इंडियन ऐंटीक्वेरी, इंडियन हिस्टारिकल' क्वार्टरली आदि अनेक रिसर्च जर्नलों-रिपोर्टों आदि में बिखरे हुए परमार राजवंशीय अभिलेखों का प्रस्तुत ग्रन्थ में संग्रह होने से इस विषय के अनुसंधानकर्ताओं तथा विद्वानों को बहुत सुविधा होगी । जो अभिलेख इससे पूर्व जहाँ भी प्रकाशित हुए हैं वे अंग्रेजी भाषा में हुए हैं । प्रस्तुत ग्रन्थ से हिन्दी भाषा भाषी विद्वानों तथा विद्यार्थियों को सुविधा होगी तथा यह ग्रन्थ बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। डॉ. मित्तल ने अभिलेखों को समझने के लिये पूर्व में विस्तृत भूमिका दी है। इसमें परमार साम्राज्य की भौगोलिक एवं भौतिक स्थिति, परमारों की उत्पत्ति, अभिलेखों का महत्त्व, परमार साम्राज्य की राजनीतिक व्यवस्था, मंत्री परिषद्, प्रशासनिक विभाग, राजस्व एवं कर विभाग, नागरिक व्यवस्था, ग्राम व्यवस्था, सामाजिक स्थिति एवं आर्थिक व्यवस्था के समान महत्त्वपूर्ण विषयों का समुचित विवेचन किया है । अनेक ताम्रपत्रों व अभिलेखों के चित्र भी दिये हैं । इससे ग्रन्थ और अधिक उपयोगी हो गया है। हमारा विश्वास है कि यह ग्रन्थ विद्वानों का यथेष्ट आदर पात्र होगा। डा. मित्तल ने ऐसा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ राष्ट्रभाषा में तैयार किया इसके लिये हम उनको बधाई देते हैं । इंडियन कौंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च, नई देहली ने इस ग्रन्थ के प्रकाशनार्थ रु. ५००० का अनुदान दिया जिसके लिये हम उनके प्रति अत्यन्त आभारी हैं।
ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद-३८०००९ १५ जून, १९७९
मगीन शाह (अध्यक्ष)
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