SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 391
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४२ परमार अभिलेख (८५) उदयपुर से प्राप्त हरिराजदेव का प्रस्तर खण्ड अभिलेख (अपूर्ण) (संवत् १३६० = १३०३ ई.) प्रस्तुत अभिलेख विदिशा जिले के अन्तर्गत उदयपुर में स्थित प्रख्यात उदयेश्वर मंदिर के पूर्वी द्वार के भीतर दीवार में लगे एक प्रस्तर खण्ड पर उत्कीर्ण है। इसका उल्लेख इंडियन एंटिक्वेरी, भाग २०, १८९१, पृष्ठ ८४, मिले जुले नोट्स, क्रमांक ६ पर किया गया है। अभिलेख कुल ४ पंक्तियों का है, जिसका क्षेत्र २४ x १४ से. मी. है। अक्षरों की लम्बाई प्रायः २१ सें. मी. है। इसकी भाषा संस्कृत है। प्राप्त विवरण में अभिलेख की केवल प्रथम पंक्ति का पाठ दिया हुआ है जो इस प्रकार है-“[संवत् १३६० [रा?] श्री हरिराज [देव ?]. . ."। वर्तमान में यह कहना कठिन है कि यह हरिराज कौन था । परन्तु भावनगर अभिलेख में उसको परमारवंशीय निरूपित किया गया है। वैसे ज्ञात परमार राजवंशावली में इस नाम का कोई नरेश नहीं है। अतः संभावना यह है कि वह कोई प्रान्तपति रहा होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy