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________________ मांधाता अभिलेख २५७ मील दक्षिण की ओर मोहोड ग्राम है । दानप्राप्तकर्ता ब्राह्मणों के मूल निवास स्थलों में महावन स्थान उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में वर्तमान महावन है। त्रिपुरी स्थान जबलपुर से ६ मील पश्चिम में वर्तमान तेवर है । मथुरा स्थान वर्तमान मथुरा है । डण्डवानक स्थान संभवत: जोधपुर के पास दिवान है | मुतावथ स्थान अर्जुनवर्मन् के अभिलेखों में उल्लिखित मुक्तावस्थु स्थान अथवा मुक्तावसु स्थान है । हस्तिनुपुर संभवतः नर्मदा के किनारे पगारा प्रतिजागरणक के अन्तर्गत afaणावर था । टकारी स्थान, आश्रम स्थान व सरस्वती स्थान का ठीक-ठीक समीकरण सरल नहीं है । मध्यदेश देश का मध्यवर्ती भूभाग था । १. ओं । ओं नमः पुरुषार्थ - चूडामन्ये (णये ) धम्मीय | ३. ४. ५. ६ ७. मूलपाठ ( प्रथम ताम्रपत्र- पृष्ठ भाग ) Jain Education International प्रतिविवि (बिम्ब ) - निभाद्भूमेः कृत्वा साक्षात् प्रतिग्रहं । जगदाव्हा (हला) दयन् दिश्या [द्] द्विजे म् (जें ) - द्रो मङ्गलानि वः || १॥ जी (या) परशुरामोसौ क्षत्रः क्षुण्णं रणाहतैः । सन्ध्या कर्क - वि (बि) म्बं एवोर्ध्वो दातुर्यस्य ऐति ताम्त्र ( म्र) ताम् ||२|| येन मन्दोदरीवाष्प - वारिभिः स (श) मितो मृधे । प्राणेस्व ( श्व) री-वियोगाग्निः सः रामः श्रेयसेस्तु वः ॥ ३ ॥ भीमेनापि 'धृता मूर्द्धनि यत्पादा: युधिष्ठिर: ir (शा) द्येनेन्दुना जीयात्सु ( त्स्व ) तुल्य इव निर्मितः || ४ || परमार कुलोत्तंसः कंसजिन्महिमा नृपः । श्री भोजदेव इत्या सीन्नासीर-क्रान्त भूतल ः ||५|| यद, यशश्चन्द्रिकाद्योते (कोदेति) दिगुत्सङ्ग तरंगिते । द्विषन्नृप यश: पुञ्जपुंडी ( डरी ) कैनिमीलितं ॥ ६ ॥ ततोभूद् उदयादित्य नित्योत्साहक कौतुक (की) । असाधारण - वीर श्रीरश्रीहेतुविरोधिनाम् ॥७॥ महाकलः (लह) - कल्पान्तो (न्ते ) यश्योद्दामभिरासु (शु) - गैः । कति नोन्मूलितास्तुङ्गा भूभतः कटकोल्वणाः ॥ ८ ॥ तस्माच्छिन्न- द्विषन्मर्मा नरवर्मा नराधिपः । धर्मो (र्माभ्युद्धरणे धीमानभूत्सीमा महीभुजाम् ।।९।। प्रतिप्रभातं विप्रभ्योदते (त्तै) ग्रम- पादैः (पदैः) स्वयं । aayari निन्ये धर्मो येनैकपादपि ॥१०॥ तत्या (स्या ) जनि यशोवर्मा पुत्रः क्षत्रिय शेखरः । तस्मादजयवर्माभूज्जयश्रीविश्रुतः शु (सु) तः ॥ ११ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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