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________________ पुरुषार्थसिद्धय पाय ] [ ६६ सम्यक्त्वं वस्तुतः सूक्ष्ममस्ति वाचामगोचरः। तस्माद्वक्तु च श्रोतुच नाधिकारो विधिक्रमात् ॥ ४०० ॥ ( अध्याय २) सम्यक्त्वं वस्तुतः सूक्ष्मं केवलज्ञानगोचरं ।। गोचरं स्वावधिस्वांतपर्ययोः ज्ञानयोः द्वयोः ॥ ३७५ ॥ ( अध्याय २ ) इन श्लोकोंका अभिप्राय यह है कि सम्यग्दर्शनगुण वास्तवमें बहुत सूक्ष्म है, वह वचनोंसे नहीं कहा जा सकता; इसलिये उसे न तो कोई कह ही सकता है और न कोई सुन ही सकता है । जो पदार्थ वचनातीत है, उसे कहने सुननेका किसीको अधिकार ही नहीं है। यह सम्यक्त्व केवलज्ञानके गोचर है तथा अवधिज्ञान और मनःपर्ययज्ञानके भी गोचर है । परन्तु मतिज्ञान,श्र तज्ञानके गोचर नहीं है। अवधिज्ञानमें भी परमावधि सर्वावधि इन दो अवधियोंसे ही प्रत्यक्ष होता है-देशावधिसे नहीं होता। अर्थात् सम्यग्दर्शनके स्वरूपको अथवा सम्यग्दृष्टिके उस सम्यक्त्वगुणसे विभूषित आत्माको केवलाज्ञनी मनःपर्ययज्ञानी तथा परमावधि सर्वावधिवाले वीतरागी मुनिराज ही जानते हैं, देशावधि और मतिज्ञानी श्रुतज्ञानी उस सूक्ष्मस्वरूपके जानने में सर्वथा असमर्थ हैं । 'सम्यग्दर्शन ववनोंसे क्यों नहीं कहा जा सकता ?' इसका उत्तर यह है कि ज्ञानको छोड़कर सभी गुण निर्विकल्पक हैं, ज्ञान ही एक ऐसा गुण है जो सविकल्पक है, एवं स्वस्वरूप परस्वरूपका प्रकाशक है । इसलिये सम्यग्दर्शनके निरूपण करने की वचनोंमें योग्यता ही नहीं है । ऐसी अवस्थामें सम्यक्त्वका स्वरूप ज्ञानके द्वारा ही जाना जा सकता है, और ज्ञानके द्वारा ही विवेचन किया जा सकता है । ज्ञानका आश्रय लेकर ही आचार्यों ने उस वचनातीत भी, सम्यक्त्वका स्वरूप यह बतलाया है कि जिससमय सम्यक्त्वके अविनाभावी अथवा सहवर्ती ज्ञानविशेषका प्रादुर्भाव हो जाय, उससमय समझलो कि आत्मामें सम्यक्त्व प्रगट हो गया। जिसप्रकार एक अन्धे आदमीको आम्रफलके पीलेपनका बोध करानेके लिये यह कहा जाता है कि 'जिससमय उस आम्रफल में खट्टेपनेको लियेहुए गंध न रहे किंतु मीठेपनेको लिये हुए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
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