________________
वात्सर्यसंग्रहवृत्स्यन्तर्गखानाम्स्वार्यव्यवसिति १....
। १५१. २१% १७.२० १८.२; ख ....
10१६.३२ हीवमान (अवविज्ञान):...
हेतुदोष १६.२. हेतु १२.२; ;;165२३६ १३.४५ हेतुसमर्थन १८. १५.
१५.२; १५.1991५14; १६...;.; हेत्वाभास ३.५:२८.1. 15२९;
३. जैनतर्कभाषागतानामवतरणानां सूची। अप्रस्तुतार्थापाकरणात्- लपी. स्ववि. ७.२.] २५. १५ असतो नथि णिसहो- विशेषा• गा० १५७४ ] १५.५ अहवा पत्थूमिहाणं-[ विशेषा• गा..] २९. ५ उज्जुसुअरस एगे- अनुयो० रु. १४] २७. २४. ततोऽर्थप्रणाकारा-[वस्वार्थश्लोकवा० १. १. २२] १. १५. तस्मात् यत् स्मर्यवे तत्स्यात्-लोकवा० उप० लो० ३७-१८] १०.१ धूमाधीर्वहिविज्ञानम्-
] ११. १६. नामाइठियं दव्यट्टियस्स-[विशेषा• गा. ७५] २७.१७ नासिद्धे भावधर्मोऽस्ति-[प्रमाणवा० १. १९९] १४. २२ पक्षीकृत एव विषये- प्र. न. ३. १८.] १२. २२ पयोम्युभेदी हंसः स्यात्-[
] १०.१५. भावं चिय सहणया- विशेषा• गा० २८५७ ] २७. २० विकल्पसिद्ध तस्मिन्- परी• ३. २१] १४. १४
४. तात्पर्यसंग्रहवृत्यन्तर्गतानां विशेषनाम्ना सूची।
अमयदेव ३१.१ भाचार (म) ५०. 1,1५. भावश्यक (सूत्र) ५०. १२,५१. ६. उदयनाचार्य ५२. ११. उपाध्याय ३२. ५. ऐरावत ५०... कुमारिल ३१.९. चिन्तामणिकार ५१.२१, २२, २८, २९, ५२. ५. चिन्तामणिकृत् ५५.८.. जैन १३.११५१.२०,५३. 100६.१७५. जैनतर्क १२.... जैनमत ३१.२,५६. ३,२८. तात्पर्यसमहा ३१. २.दीधितिकृत् ५४.८. रहिवार ५१.२. देवसूरि ३२.१,९,३३.९.
धर्मभूषण ५३.". नन्दिसून ४०.१५४१.२३. नन्यध्ययन ४२... नन्यध्ययनसून ४०.१३. नैयायिक ५२.३,५३. १, २२, २०५४.५
५५.९,२८, २,५६. २८. नैयायिकविशेष ५३.१२. न्याय ५९.१९. न्यायदीपिका ५६... म्यायनव ५४... परोक्षद्विवादिन् ३१.११. पाश्र्वनाथ ३७. १९. प्रकीर्ण ५१.१. प्रमाणनयतवाडोक ५६... प्राभाकर ५२.२१. प्राभाकरमत ३२. २१५२. ३०.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org