________________
अर्पण (वि.) ३३५, ३३६. | अविश्रान्तिरूपता (दुःख) (वि.) १.१. अर्बुद (वि.) १८३.
अवैषम्य (वि.) २८०. अलंकरणत्वायोग (अ.) ३७१. अव्यंग्य (अ.) १५१, १५८. अलंकार (अ.) ३५, ६७, ७२, ७९, अव्ययीभाव (वि.) २५५.
८०, १५०, २९५, ३०७, ३९८, अश्मकं (वि.) १८२. ४००, ४०४, ४२१, ४२२, ४३१; अश्रु (अ.) १०९, १२०, १४४. (वि.) ३३४, ३७१.
अश्रुपात (अ.) ११६.. अलंकारता (वि.) १५४.
अश्लीलत्व (अ.) २०१, २२६, २३१, अलंकारध्वनि (अ.) ४७.
२६१, २६२. अलंकारभेद (अ.) ५७.
अष्टन् (अ.) (सात्त्विक) १४७, (रसदोष) अलंकारसामान्यलक्षण (अ.) ३४.
१६९, (उभयदोष) २२६, (सत्त्वज अलंकारशून्य (वि.) ३५६.
गुण) ४०६; (वि.) (दिश्) १८४. अलातचक्रादि (वि.) १००.
अष्टभेद (व्यतिरेक) (अ.) ३८३. अलौकिकत्व (अ.) १०३.
अष्टादशन् (जाति) (वि.) २६९. अल्पविभावत्व (अ.) १२६.
अष्टादशनालिकाप्रमाण (समवकार) (अ) अवगमना (शक्ति) (वि.) ९३.
४३८, (वि.) ४३८. अवदान (अ.) १७८, (वि.) १७८.
असंगति (वि.) ३७७. अवमर्ष (वि.) ४५१.
असत्प्राधान्य (व्यङ्ग्य) (अ.) १५२. अवरकाव्य (अ.) १५७ (लक्षण). असदुपदेशक (काव्य) (वि.) ५. अवरुद्ध (अ.) ४१७.
असमर्थत्व (अ.) २२६, २३१, २३७. अवरोह (वि.) २८१.
असंमोहाध्यवसाय (अ.) ११७, ११८, अवलंबन (अ.) २९९.
(वि.) ११७. अवस्था (स्त्री) (अ.) ४१८,
असाधुत्व (अ.) १९९, २०१. अवस्थाभेद (अ.).४१२.
असूया (अ.) १०५, ११०, १२६, अवहित्थ (अ.) ११४, १२६, १२७, १२७, १४२ (लक्षण). १२९, १३३ (लक्षण).
असूयित (वि) ३३५. अवाचक (अ.) २३२, २३५.
अस्थानस्थपदत्व (अ.) २०१, २१०. अवाचकत्व (वि.) २२९.
अस्फुटव्यंग्य (वि.) १५५. अवाची (वि.) १८३.
अहृदय (वि.) १००. अविमृष्टविधेयांशत्व (अ) २२६, २४२. अहृद्यत्व (वि.) ३७८. अविवक्षितत्व (वि.) ३५९, ३६०. आकर्षण (अ.) ११६. अविघ्ना संवित् (वि.) ९९.
आकार (अ.) ६६, ३१३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org