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फुलकर (अ.) २८८, २२७. भवानि ये (अ.) ४४६, २९९. [क. मं. जवनिका. १, *लो. १९]
[दे. श. लो. ५९ ] बभूव भस्मैव (अ.) २६१, २१७.
भवानि शं (अ.) ४५९, ३०२. [कु. सं. स. ७, श्लो. ३२] भस्मवर्म फणिनः (वि.) ४०५, २७५. बहलतमायराइं (अ.) १५, ५३.
भस्मोद्धलन (वि.) ५६८, ३९७. [गा. स. श. ४, ३५; स. श. ३३५] | भाति पतितो (वि) १५८, ९२. बहुविधमिह (वि.) १६, १०.
[र. अं. २ 'लो. ११] बह्वर्थेष्वभियुक्तेन (वि.) ६, ८.
भासते प्रतिभासार (वि.) ५२४, ३२१.
भूतियोजित (अ.) ४७०, ३१५. बालमृगलोचना (अ.) ५९०, ३७४. [रुद्रट. ९. ३३]
भूपतेरुपसर्पन्ती (अ.) ३००, २३०. बाले नाथ विमुञ्च (अ.) २५५, २१५; ।
भूयस्तत्प्रकृतं (अ.) ११८, १२८.
[अ. श. *लो. १५१] ७००, ४३६. अ. श. श्लो. ५७]
भूरिभिभारिभिर् (वि.) ४८२, ३०८. बाले मालेयमुच्चैर् (अ.) ४२४, २९०.
भूरेणुदिग्धान् (अ.) १९१, १६३. [सुभा. १७१६. धाराकदम्बस्य ]
भ्रमर द्रुमपुष्पाणि (वि.) ४६०, २९८. बिसकिसलय (अ.) २१८, २०६.
भ्रभिमरतिम् (अ.) १७४, १५४. [ मे. द. श्लो. १९]
भ्रभङ्गे सहसोद्गते (अ.) ७४०, १३०. बिभ्राणः शक्ति (वि.) ३९९. २५८.
[र. अ. २. *लो. २० ] [सू. श. लो. २५ ।।
मायुद्गमगर्भास्ते (अ.) २१०, २०२. बुधो भौमश्च (अ.) ४०, ६४. | मण्डलीकृत्य (वि.) ९५, २७. ब्रह्मचर्योपतप्तो (वि.) ५२८, २८२.
[ का. द. परि १. श्लो. ७० ] ब्राह्मणातिकम (अ.) १३८, १३५ मथ्नामि कौरवशतं (अ.) ५१, ६५; [म. च. अं. २ 'लो. १० ]
१७९, १५७. - ब्रूत नूतनकूष्माण्ड (अ.) ६८७, ४१०.
वे. सं. अं. १. श्लो. १५] भगवन् कुलपते (वि.) १६६, १४१. मदतिश्यामित (वि.) ६२०, ४६० ।। भञ्जन्भूर्जद्रमाली: (वि.) २८३, १९१. [कि. अ. स. १६. श्लो. २] भण तरुणि (अ.) ३७०, २६१. मदान्धमातङ्ग (वि.) ११, ९. भम धम्मिअ (अ.) १३, ४७.
[जा. ह. स. १२ श्लो. ३६ ] [गा. स २, ७६ ] मदान्धमातङ्गविभिन्न (वि.) ५७९, ४०४. भर्तृदारिके (अ.) ५४, ६५.
[भा. लं. परि. ३. श्लो. ५७] भवतु विदितं (वि.) १५, ९. मदो जनयति (अ.) ५५२, ३५७. भवत्संभावनोत्थाय (अ.) ६०४, ३७६. मधुद्विरेफः (अ.) १६०, १४८..
[कु. सं. स. ६. लो, ५९] [कु. सं. स. ३. श्लो. ३६]
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