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________________ ३५० अंगविजामध्यगतानां विशिष्टवस्तुनाम्नां विभागशः सङ्ग्रहः उट्टपाल मगलुद्धग ओरम्भिग अहिनिप हत्थिमहामत्तो गोसंखी गजाधिपति कोसरक्ख लेखक गणक पुरोहित संवच्छर दाराधिगत दारपाल बलगणक सेणापति गणिकाखसक वरिसधर वत्थाधिगत णगरगुत्तिय पाणियपरिय पहाणघरिय सुराधरिय कट्ठाधिकत तणाधिगत बीतपाल ओपेसेजिक आरामाधिगत णगररक्ख असोकवणिकापाल वाणाधिगत आभरणाधिगत उदकवड्डकि मच्छबंध नाविक बाहुविक सुवण्णकार बलत्तकारक रत्तरजक दारुकमाधिकारिक सामेलक्ख हत्थारोह अस्सारोह पेस्स बंधनागारिय चोरलोपहार मूलक्खाणक मूलिक मूलकम्म सत्थक हेरणिक सुवपिणक चंदण. दुस्सिक संजुकारक गोवज्झभतिकारक देवड लोहकार छत्तधारक सीतपेट्टक पसाधक कुंभकार हत्थिखंस मणिकार अस्सखंस संखकार अग्गिउपजीवी कंसकार आहितग्गि पट्टकार कुसीलक (व?) दुस्सिक रंगवचर रयक गंधिक कोसेज मालाकार वाग चुण्णकार साम सूतमागध महिसघातक पुस्समाणव उस्सणिकामत्त पुरोहित छत्तकारक धम्मट्ट वस्थोपजीविक महामंत फलवाणिय दपकार मूलवाणिय बहुस्सय धण्णवाणिय मणिकार ओदणिक कोहाक कम्मासमंसवाणिज वत्थुपाढक तप्पणवाणिज वत्थुवापतिक लोणवाणिज मंतिक आपूपिक मंडवापत - खजकारक तित्थवापत पण्णिक आरामवावत सिंगारवाणिय रधकार (७) स्थानाध्यक्षविभाग गणिकखंस पतिभारक्ख बलगणक सुंकसालिय गायक रज्जक वरिसधर पधवावत आडविक वत्थुपारिसद णगराधियक्ख आरामपाल सुसाणवावत पञ्चंतपाल सूणावावत दूत चारकपाल संधिपाल फलाधियक्ख सीसारक्ख पुप्फाधियक्ख (८) यानविभाग फलकारक सीकाहारक मट्टहारक कोसेजवायक दियंडकंबलवायक कोलिक वेज कायतेगिच्छक सल्लकत्ता सालाकी भूतविजिक कोमारभिच विसतित्थिक सिप्पपारगत चम्मकार पहाविय गोहातक चोरघात मायाकारक गोरीपाढक लंखक मुट्टिक लासक वेलंबक गंडक घोसक उण्णवाणिय सुत्तवाणिय जतुकार चित्तकार चित्ताजीवी तट्टकार सुद्धरजक जइणक पेसणकारक पतिहारक तरपभट्ट णावाधिगत तिथपाल luullikulaul luium die ओयकार ओड्ड कुंभकारिक इइकार बालेपतुंद सुत्तवत्तय कंसकारक चित्तकारक रूवपक्खर पृ.१५९ राया रायकम्मिक अमञ्च अमञ्चकम्मिक णायक आसणत्थ भांडागारिक भन्भागारिक महाणसिक गयाधियक्ख मज्जपरिय.. पाणियपरिय णावाधियक्ख सुवण्णाधियक्ख हथिअधिगत अस्सअधिगत योग्गायरिय गोवयक्ख पडिहार पुरोहित आयुधाकारिक सेणापति कोट्ठाकारिक पृष्ठ २३९ सुरवति धणवति जलवति पोतवति परवति णइवति तारावति गहवति जोतिपति जोतिसपति जगपति गणपति कुलपति जूहपति मिगपति गोपति पयापति पलंकसिका पृष्ठ ७१ सकडी सकडिका थिल्ली गिल्ली सिबिका संदमाणिका जुग्ग गोलिंग जलचरयान - णावा कोटिंब इआलुय पृष्ठ १६६ स्थलचरयान सिबिका भद्दासण संदमाणिका गिल्लि सकर सकडी पृष्ठ १४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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