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________________ द्वितीवं परिशिष्टम् पत्र १८१ जधासत्ति शब्द शब्द पत्र शब्द छिदंत छिन्दत् ३८ जधण्णाणि १२८ जाणगिह यानगृह १३६-१३८ छिदंती छिन्दती १६९ जधण्णामास २०१ जाणजोणी अज्झाय छीत क्षुत १६८ जधाजात यथाजात ४४ जाणसाला यानशाला १३८ कीयमाण र्यमाण १३५ जधाणात यथाज्ञात ५६ जाणिजो जानीयात् १५-१७ क्षुधा १६८ जधामाणसिक वस्त्र? १६४ जाणि ज्यानिम् ५३ क्षुण्ण १४८ जधाविधि यथाविधि ४६ जाणेज्जो जानीयात् ३६-४४-५४ छुपगत वनस्पतिप्रकार १७७ जधावुत्त यथोक्त ४४ जातकम्म जातकर्म १४७ छुभगत यथासत्ति ६३ जातिणक्खत्त २०९ छुवकल १७७ जधोट्टि यथोद्दिष्ट ४३ जातीतेल्ल २३२ छुहा सुधा १०४ जमलभूसण १५६ जातीपट्टणुग्गत वस्त्र १६४ छुछिका चतुष्पदा ६९ जम्मणा ५८ जातीपडिरूपक छत्तमंडल क्षेत्रमण्डल ११६ जयकालिका सुरा २२१ जातीबिजको अज्झायो १४९ सेण्टिका कुर्वत् १३५ जयतणं? ५४ जामवेला २४७ छेलित सेण्टित १४८-१७३ जयविजय? १४६ जामातुकीक जामात्रिक छलिंत सेण्टिका कुर्वत् ४६ जयसमण पुष्प ७० जामिलिक वस्त्र ७१ जयो अज्झायो १९९ जारिका जारी ६० जलगिह जइणक जलगृह १३७ जारीय कर्माजीविन् १६० जार्याः जलपस्संदण जक्खोपयाण यक्षोपयाचन १८३ जलप्रयंदन १९७ जाला कृमिजाति जलाउ जगतिजगभूय क्रिया. १४८ जगतीजगद्भुत द्वीन्द्रियजन्तु २६७ जालिंकर ६ जगल जलामास १४६ -१८६ जावक गोत्र १५० सुरा २२१ जग्गंतक अग्निज्वालनकर्कटिका २५४ जवभजिय भोज्य १८२ जावतिक यावत्क २३८ जग्गिक वस २३२ जवातू यवागू १८१ जिणसंथवो अज्झामो जघण्ण जघन्य ४८ जसवओ यशस्वतः ९ जिणोत्त जिनोत ५ जजरित क्रिया. १४८ जहण्णकाया १२८ जिस्से यस्यां २४९ जणक स्थानविशेष १३८ जहण्णाणि ५७.९४ जिह्वामूलीय १५३ जणक कर्णाभू. १६२ जंगम ५८-१२१ जीवंजीवक पक्षिन् ६२ जण्ण यज्ञ १२१ जंगमाला पुष्प ___ ७० जीवंतायणा गोत्र १५० जण्णकारि यज्ञकारिन् १०१ जंघावाणियक कर्माजीविन् ७९ जीवितहार १४४-१४५ जण्णजण जन्यजन जंतुतर ८३ जुगमस्थ युगमस्तक ११५ जण्णमुंड यज्ञमुण्ड १०१ जंपितविभासापडलं ४८ जुग्ग वाहन १६६-१९३ जण्णुकाणि भङ्ग १२४ जंपिताणि सत्तेव ४७ जुण्णवय जीर्णवयः १०० जण्णुगसंधी जंबुफल फल ६४ जुत्तग्घ जष्णेया जंबुफलक भाण्ड ६५ जुत्तग्धम्हि युक्ताये १६ जण्णोपइतक यज्ञोपवीतक १०१ जंबूका आभू. ७१ जुत्तप्पमाणदीहाणि ११५-१२० जतुकार कर्माजीविन् १६० जंभाइत जृम्भायित ४७ जुत्तसंपीलित युक्तसम्पीडित २२ जनुमा भङ्ग ७ जंभाइयाणि सत्त ११ जुत्तामासाय जणि अङ्ग ६० जंभायमाण १३५ जुत्तोपचया ५८-११४ जत्ताज्झायो १९९ जंभित क्रिया. १४८-१६८-१८४ जुत्तोवचयाणि ५८.११४-१२८ जत्तूणि भङ्ग ९५-१०१-११५-१२१ जंभितविभासा पडलं ४७ जुवतीयो १२५ जधजुत्त यथायुक्त ४४ जागी पुष्प ७० जुवतेयाणि ५९-१२८ जधण्णकाया ११७ जागू यवागू ७१-२४७ जुंगलिका श्रीन्द्रियजन्तु २६७ जधण्णतरका १२८ जाचितक याचितक १६५ जूतगिह द्यूतगृह १३६ जधण्णतरका काया ११७ जाणक यानक २६ जूतसालाय चूतशालायाम् १३८ अंग०३८ ....... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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