SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 801
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ • बा . बादरी हिंतो . [४.५ २८४ पण्णवणासुत्तपरिसिट्ठाई मूलसद्दो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ बादरणिगोय. बादरनिगोद १३१९ बादरनिगोदाणं बादरनि- २४२, २४५ बादरतसकाइए बादरत्रसकायिकः १३१२ गोदानाम् [८], २४६, बादरतसकाइय० बादरत्रसकायिक २४३, २४७, २५१ २४४, २४८, २४९, बादरनिगोदे बादरनिगोदः १३११ १३२० बादरपज्जत्तए बादरपर्याप्तकः १३१४ बादरतसकाइया बादरत्रसकायिकाः २४३, बादरपजत्तगा बादरपर्याप्तकाः२४६,२५१ २४४, २४५ [९] तः बादरपज्जत्तया २४८, २५१ बादरपजत्तयाणं बादरपर्याप्तकानाम् २४४, बादरतसकाइयाण बादरत्रसकायिकानाम् २४९ २४२,२४६,२४७,२५१ बादरपुढविकाइएसु बादरपृथ्वीकायिकेषु ६६८ बादरतसकाइयाणं , २४५ [९] ० बादरपुढविकाइ. बादरतेउकाइए बादरतेजःकायिकः पृ.३०८ एसु ६६८ [४] टि. २ बादरपुढविकाइए- बादरपृथ्वीकायिकेभ्यः बादरतेउकाइय • बादरतेजःकायिक २४३, २४४, २४८, २४९ बादरपुढविकाइय ० बादरपृथ्वीकायिक २४३, बादरतेउकाइया बादरतेजःकायिकाः २४३, २४४, २४८, २४९ २४५ [४], २४६ तः । बादरपुढविकाइया बादरपृथ्वीकायिकाः २०, २४९, २५० [४],२५१, २२ तः २४, २५ [३], २४३, २४४, २४५[२], बादरतेउकाइयाण बादरतेजःकायिकानाम् २४६ तः २४९, २५० २५० [४], २६२ [१] [२], २५१, ३३४ बादरपुढविका- बादरपृथ्वीकायिकाः बादरतेउकाइयाणं ,, १५४, १५५, २४२, २२,२३ २४५ [४], २४६,२४७, बादरपुढविकाइयाण बादरपृथ्वीकायिकानाम् २५१, ३६२ [१] २५० [१] बादरतेउक्काइया बादरतेजःकायिकाः २९, बादरपुढविकाइयाणं ,, १४९, २४२, २४५ ३१ [१,४], २४४,२४५ [२], २४६ तः २४८, [४], २५१, ३३४ २५१, ३५६ [१] बादरतेउक्काइयाणं बादरतेजःकायिकानाम ०बादरपुढविकाइयाणं,, ३५६ [२-३] बादरपुढविक्काइए बादरपृथ्वीकायिकः १३०६ बादरनिगोद. बादरनिगोद २४४, २४९ बादरपुढविक्काइय० बादरपृथ्वीकायिक १३१५ बादरनिगोद-. बादरनिगोद २४३ बादरपुढविक्काइय- बादरपृथ्वीकायिकै एगिदियओरालिय- केन्द्रियौदारिकबादरनिगोदा बादरनिगोदाः २४३,२४५ सरीरे शरीरम् १४७८ [१] [८], २४६,२४७,२४९, बादरपुढविक्काइया बादरपृथ्वी कायिकाः २५० [७], २५१ १४७८ [३] बादरनिगोदाण बादरनिगोदानाम् २५० बादरवणप्फइकाइए बादरवनस्पतिकायिकः १३०९ इया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001064
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1971
Total Pages934
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy