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________________ सौराष्ट्र के छोटे से गाँव में २२-७-१९१० (22-7-1910) में जन्म । पिता के वियोग के बाद हिन्दु अनाथाश्रम में सात वर्ष रह कर ई० १९२७ (1927) बीकानेर में जैन ट्रेनिंग कालेज में जैनागम और प्राकृत-भाषा का अभ्यास किया। ई० १९३२३४ (1932-34) में शान्तिनिकेतन विश्वभारती में पालि और बौद्ध धर्म का अभ्यास किया। ई० १६३५ (1935) से पूज्य पंडित सुखलाल जी के सहायक रूप में बनारस रहे। और, बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी में ई० १९३८ से १६५६ (1938 to 1959) तक जैनदर्शन के प्राध्यापक रहे। ई० १६५६ से १९७६ (1959 to 1976) तक ला० द० विद्यामंदिर, अहमदाबाद में निदेशक रहे और केनेडा की तोरोन्टो यु० में १९६८-६६ (1968-69) में बौद्धदर्शन के प्राध्यापक रहे। देश-विदेश में होने वाली परिषदों में भाग लिया। ओरियन्टल कोन्फरेन्स के जयपुर अधिवेशन में वाइस प्रेसिडेन्ट नियुक्त हुए। अ० भा० दर्शन परिषद के जबलपुर अधिवेशन में प्रमुख पद शोभित किया। शताधिक लेख लिखे और शताधिक पुस्तकों का सम्पादन-लेखन किया। राष्ट्रपति द्वारा संस्कृत में प्रतिष्ठा प्रमाण पत्र मिला ई० १९८५ में । अब ७९ (79) वर्ष की आयु में निवृत्त जीवन बिता रहे Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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