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________________ २८८ प्रागम युग का जैन दर्शन है, तथा जैन दर्शन के गुणों का सद्भाव अन्य दर्शन में नहीं है, इस बात को युक्ति-पूर्वक सिद्ध करने का सफल प्रयत्न किया है। ____सन्मति के टीकाकार मल्लवादी ने नय-चक्र नामक एक स्वतन्त्र ग्रन्थ की रचना, विक्रम पांचवी छठी शताब्दी में की है । अनेकान्त को सिद्ध करने वाला यह एक अद्भुत ग्रन्थ है। ग्रन्थकार ने सभी वादों के एक चक्र की कल्पना की है। जिसमें पूर्व-पूर्ववाद का उत्तर-उत्तरवाद खण्डन करता है। पूर्व-पूर्व की अपेक्षा से उतर-उतरवाद प्रबल मालूम होता है, किन्तु चक्र-गत होने से प्रत्येक वाद पूर्व में अवश्य पड़ता है । अतएव प्रत्येक वाद की प्रबलता या निर्बलता यह सापेक्ष है । कोई निर्बल ही हो, या सबल ही हो, यह एकान्त नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार सभी दार्शनिक अपने गुण-दोषों का यथार्थ प्रतिबिम्ब देख लेते हैं । इस स्थिति में स्याद्वाद की स्थापना अनायास स्वत: सिद्ध हो जाती है। सिंहगणि ने सातवीं के पूर्वार्ध में इसके ऊपर १८००० श्लोक प्रमाण टीका लिखकर तत्कालीन सभी वादों की विस्तृत चर्चा की है। इस प्रकार इस युग के मुख्य कार्य अनेकान्त की व्यवस्था करने में छोटे-मोटे सभी जैनाचार्यों ने भरसक प्रयत्न किया है और उस वाद को एक स्थिर भूमिका पर रख दिया है, कि आगे के आचार्यों के लिए केवल उस वाद के ऊपर होने वाले नये-नये आक्षेपों का उत्तर देना ही शेष रह गया है। प्रमाणव्यवस्था-युग : बौद्ध प्रमाण-शास्त्र के पिता दिग्नाग का जिक्र आ चुका है। उन्होंने तत्कालीन न्याय, सांख्य और मीमांसा-दर्शन के प्रमाण लक्षणों और भेद-प्रभेदों का खण्डन करके तथा वसुबन्धु की प्रभाग-विषयक विचारणा का संशोधन करके स्वतन्त्र बौद्ध प्रमाण-शास्त्र की व्यवस्था को । प्रमाण के भेद, प्रत्येक के लक्षण, प्रमेय और फल आदि सभी प्रमाणसम्बद्ध बातों का विचार करके बौद्ध दृष्टि से स्पष्टता की और अन्य दार्शनिकों के तत्तत् पक्षों का निरास किया । परिणाम यह हुआ, कि दिग्नाग के विरोध में नैयायिक उद्द्योतकर एवं मीमांसक कुमारिल आदि For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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