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________________ १. अति स्थूलस्थूल - पृथ्वी, पर्वत आदि । २. स्थूल - घृत, जल, तैल आदि । ३. स्थूल सूक्ष्म - छाया, आतप आदि । ४. सूक्ष्म - स्थूल - स्पर्शन, रसन, घ्राण और श्रोत्रेन्द्रिय के विषय भूत स्कन्ध । ५. सूक्ष्म - कार्मण वर्गणा प्रायोग्य स्कन्ध | ६. अति सूक्ष्म - कार्मण वर्गणा के भी योग्य जो न हों, ऐसे अति सूक्ष्म स्कन्ध | परमाणु-चर्चा : श्रागमोत्तर जैन-दर्शन २४५ आगम वर्णित द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव परमाणु की तथा उसकी नित्यानित्यता विषयक चर्चा हमने पहले की है । वाचक ने परमाणु के विषय में 'उक्त च' कह करके किसी के परमाणु लक्षण को उद्धृत किया है, वह इस प्रकार है "कारणमेव तदन्त्यं सूक्ष्मो नित्यश्च भवति परमाणुः । एकरसगन्धवर्णो द्विस्पर्श: कार्यलिङ्गश्च "" इस लक्षण में निम्न बातें स्पष्ट हैं १. द्विप्रदेश आदि सभी स्कन्धों का अन्त्यकारण परमाणु है । २. परमाणु सूक्ष्म है | ३. परमाणु नित्य है । ४. परमाणु में एक रस, एक गन्ध, एक वर्ण, दो स्पर्श होते हैं । ५. परमाणु की सिद्धि कार्य से होती है । इन पांच बातों के अलावा वाचक ने 'भेदादणु:' ( ५.२७) इस सूत्र से परमाणु की उत्पत्ति भी बताई है । अतएव यह स्पष्ट है, कि वाचक ने परमाणु की नित्यानित्यता को स्वीकार किया है, जो आगम में प्रतिपादित है । के उक्त परमाणु के सम्बन्ध में आचार्य कुन्दकुन्द ने परमाणु लक्षण को और भी स्पष्ट किया है । इतना ही नहीं किन्तु उसे दूसरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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