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________________ [१] प्रमेयनिरूपण १ २ -सत् का स्वरूप ३ - द्रव्य, पर्याय और गुण का लक्षण तत्त्व, अर्थ, पदार्थ, तत्त्वार्थ ४ ५- -कालद्रव्य ६ - पुद्गलद्रव्य 6) - गुण और पर्याय से द्रव्य वियुक्त नहीं - इन्द्रियनिरूपण ८ - अमूर्त द्रव्यों की एकत्रावगाहना ७ ( १७ ) [२] प्रमाणनिरूपण १- पंच ज्ञान और प्रमाणों का समन्वय २- प्रत्यक्ष-परोक्ष ३- प्रमाणसं ख्यान्तर का विचार ४- प्रमाण का लक्षण ५ - शानों का स्वभाव और व्यापार ६-मति श्रुतिका विवेक 19- - मतिज्ञान के भेद ८ - अवग्रहादि के लक्षण और पर्याय [३] नयनिरूपण प्रास्ताविक १ – नयसंख्या २- नयों के लक्षण ३ - नूतन चिन्तन (ब) प्राचार्य कुन्दकुन्द की जनवर्शन को देन प्रास्ताविक [१] प्रमेयनिरूपण १ – तत्त्व, अर्थ, पदार्थ और तत्त्वार्थ २ – अनेकान्तवाद ३- द्रव्य का स्वरूप ४ -- सत् द्रव्यः =सत्ता ५- द्रव्य, गुण और पर्याय का सम्बन्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only २०७ २०७ २०८ २१० २१३ २१३ २१४ २१७ २१७ २१७ २१७ २१८ २१ २२० २२० २२१ २२२ २२३ २२६ २२६ २२७ २२७ २२८ २३१ २३१ २३३ २३३ २३४ २३४ २३५ २३६ www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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