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आगम-युग का जैन-दर्शन
के दश प्रकार भिन्न हैं। इस प्रकार हम देखते हैं, कि न्यायवाक्य के दश अवयवों की तीन परम्पराएँ सिद्ध होती हैं। यह बात नीचे दिए जाने वाले नकशे से स्पष्ट हो जाती हैमैत्रेय माठर दिग्नाग प्रशस्त न्यायसूत्र न्यायभाष्य
प्रतिज्ञा पक्ष पक्ष प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा हेतु हेतु
हेतु
अपदेश हेतु हेतु हेतु दृष्टान्त दृष्टान्त दृष्टान्त निदर्शन उदाहरण उदाहरण उदाहरण
अनुसंधान उपनय उपनय उपनय प्रत्याम्नाय निगमन निगमन निगमन
जिज्ञासा
संशय शक्यप्राप्ति
प्रयोजन
संशयव्युदास भद्रबाहु
५ प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा उदाहरण हेतु
हेतु प्रतिज्ञाविशुद्धि प्रतिज्ञाविभक्ति उदाहरण दृष्टांत हेतु
उपसंहार हेतुविशुद्धि हेतुवि० निगमन दृष्टान्त विपक्ष
दृष्टान्तविशुद्धि प्रतिषेध उपसंहार दृष्टांत उपसंहारविशुद्धि आशंका निगमन तत्प्रतिषेध निगमनविशुद्धि निगमन
३
हेतु
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